दिल्ली हाईकोर्ट ने RBI से  पूछा सवाल, कहा- Google का पेमेंट ऐप बिना मंजूरी कैसे चल रहा है
प्रतीकात्मक तस्वीर (फाइल फोटो )

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (High Court) ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से पूछा कि गूगल (Google ) का मोबाइल भुगतान एप ‘जी पे’ उसकी आवश्यक मंजूरी के बिना कैसे वित्तीय लेन-देन की सुविधा उपलब्ध करा रहा है. मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायाधीश ए जे भामभानी की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आरबीआई से उक्त सवाल पूछा.जनहित याचिका में दावा किया गया है कि गूगल पे (जी पे) भुगतान एवं निपटान कानून का उल्लंघन करते हुये भुगतान प्रणाली सेवा प्रदाता के रूप में काम कर रहा है। गूगल के पास भुगतान सेवा प्रदाता के रूप में काम करने को लेकर केंद्रीय बैंक की मंजूरी नहीं है.

अदालत ने आरबीआई और गूगल इंडिया को नोटिस जारी कर अभिजीत मिश्र की याचिका में उठाये गये मुद्दे पर उनका रुख पूछा है। याचिका में दलील दी गयी है कि आरबीआई की अधिकृत भुगतान प्रणाली परिचालकों की सूची में जी पे का नाम नहीं है। केंद्रीय बैंक ने यह सूची 20 मार्च 2019 को जारी की थी. पीठ ने आरबीआई से पूछा, ‘‘वह बिना मंजूरी के कैसे काम कर रहे हैं।’’ मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी. याचिका में निजता के मसले को भी उठाया गया है। इसमें दावा किया गया है, ‘‘जी पे की भारत में भुगतान और निपटान प्रणाली के रूप में अनाधिकृत परिचालन के जरिये बिना किसी निगरानी के ही लोगों के आधार, पैन, वित्तीय लेन-देन आदि से जुड़ी सूचनाओं तक पहुंच है.’’ यह भी पढ़े: फेसबुक और गूगल पर आतंकी प्रोपेगेंडा और चाइल्ड पोर्न जैसी सामग्री को ब्लॉक करने के लिए बढ़ा दबाव

याचिका में अदालत से गूगल को जी पे के अनाधिकृत परिचालन पर तुरंत रोक लगाने के लिये आरबीआई को निर्देश देने का आग्रह किया है. याचिका के अनुसार भुगतान प्रणाली परिचालकों से जुड़े एक सवाल के जवाब में आरबीआई ने कहा कि देश में इस प्रकार की व्यवस्था स्थापित करने को लेकर नियामक से मंजूरी जरूरी है. इसमें कहा गया है कि आरबीआई ने यह भी कहा कि जीपे अधिकृत भुगतान प्रणाली की सूची में शामिल नहीं है. भीम आधार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 30 मार्च 2019 की स्थिति के अनुसार जी पे भीम आधार एप का सूचीबद्ध भागीदार नहीं है.