महाव्यापार समझौते RCEP पर बोले अमित शाह- भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकेगा नहीं, बल्कि अपने हितों की रक्षा करेगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते को लेकर बुधवार को बड़ा बयान दिया है. आरसीईपी (RCEP) महाव्यापार समझौते से भारत के हाथ खींचने पर अमित शाह ने कहा कि आज का भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकने वाला नहीं है.
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते को लेकर बुधवार को बड़ा बयान दिया है. आरसीईपी (RCEP) महाव्यापार समझौते से भारत के हाथ खींचने पर अमित शाह ने कहा कि आज का भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकने वाला नहीं है. यह फैसला हितों की रक्षा के लिए लिया गया है. दरअसल आरसीईपी में भारत का ना आना सबसे ज्यादा चीन को खटक रहा है.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा “आज का भारत अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकने वाला नहीं, बल्कि अपने हितों की रक्षा करने वाला भारत है. देश में नई ऊर्जा का प्रवाह हुआ है और इसके सूत्रधार प्रधानमंत्री मोदी हैं.” उन्होंने आगे कहा कि आरसीईपी को नकार कर पीएम मोदी ने देश के किसानों, उद्योगों के हितों की रक्षा की है. मोदी सरकार का बड़ा फैसला, भारत नहीं करेगा RCEP महाव्यापार समझौता- जानें वजह
इसी महीने बैंकॉक में आरसीईपी को लेकर हुई बैठक के बाद भारत ने अपने घरेलु बाजार को नुकसान होने का हवाला देते हुए आरसीईपी में शामिल होने से मना कर दिया था. आरसीईपी महाव्यापार समझौते से भारत के हाथ खींचने पर से चीन को तगड़ा झटका लगा. चीन ने हाल ही में कहा कि समूह के सदस्य देश भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरसीईपी शिखर बैठक में अपने संबोधन में ही इस फैसले की जानकारी देते हुये कहा था कि भारत आरसीईपी में शामिल नहीं होगा. पीएम मोदी ने कहा था कि प्रस्तावित समझौते से सभी भारतीयों के जीवन और आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि भारत द्वारा उठाये गये मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक ढंग से समाधान नहीं होने की वजह से उसने समझौते से बाहर रहने का फैसला किया है.
हालांकि बाकी 15 देशों ने भारत के बिना इस व्यापार समझौते के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है. आरसीईपी को लेकर आसियान के दस सदस्यों (ब्रुनेई, दारुस्सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) के अलावा भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड पिछले सात साल से बातचीत कर रहे थे. भारत के अलावा सभी देश जून 2020 में समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते है. उल्लेखनीय है कि आरसीईपी समझौते का मकसद सदस्य देशों के बीच दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र निर्माण करना है.