Hijab Row: भारत के मुस्लिम संगठनों की दो टूक- हिजाब विवाद मामले में अलकायदा की नसीहत की जरूरत नहीं
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credit : Twitter)

Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब विवाद के दौरान 'जय श्रीराम' के नारों के जवाब में 'अल्लाहू अकबर' का नारा बुलंद करने वाली मुस्कान जैनब खान के समर्थन में अलकायदा प्रमुख जवाहिरी का वीडियो सामने आने के बाद देश के मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अलकायदा को कड़े शब्दों में कहा है कि, यह भारत का आंतरिक मामला है, हमें नसीहत की जरूरत नहीं. कर्नाटक के मांड्या की रहने वाली कॉलेज छात्रा मुस्कान जैनब खान हिजाब विवाद के दौरान एक प्रमुख चेहरा बनकर उभरी हैं.

दुनिया के बड़े आतंकी संगठनों में शुमार अलकायदा के प्रमुख जवाहिरी द्वारा मुस्कान की तारीफ पर अखिल भारतीय इमाम संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कहा कि, हम अलकायदा की बातों से मतलब नहीं रखते हैं, यह हमारे अंदरूनी मामले हैं. हम इन्हें आपस में समेट लेंगे। यह बाहरी शक्तियां हैं जो मुल्क के अंदर नफरत फैलाना चाहती हैं. मुल्क में झगड़े कराना चाहती हैं, इसलिए हमें अलकायदा की नसीहतों की जरूरत नहीं हैं. यह भी पढ़े: Hijab Row: हिजाब विवाद पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख, कहा- हाई कोर्ट ने की इस्लामिक नियमों की गलत व्याख्या

यह हमारा मुल्क है और यह बाहर से आकर हमारे लिए हमदर्दी दिखा रहे हैं, यह हमारे लिए हमदर्दी नहीं बल्कि यह मुस्लिम समाज के लिए नुकसान देह है। यह संगठन इंसानियत के दुश्मन हैं और मुल्क को तोड़ने की साजिशें रच रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि, तमाम मुस्लिम समाज से अपील करना चाहता हूं कि, यह संगठन अपने बिलों से निकलकर तारीफ कर रहे हैं. यह नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। ऐसे बाहरी संगठनों के उकसाने में नहीं आना है, मुल्क के साथ खड़े होकर साथ रहना है.

अयमान अल जवाहिरी आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन का करीबी माना जाता रहा है.  2011 में अमेरिकी हमले में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद जवाहिरी ने अल कायदा की बागडोर संभाली थी.

इससे पहले अलकायदा प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के बारे में साल 2020 में ये खबर फैली कि उनकी मौत हो चुकी है या फिर वो बीमार हो चुके हैं। वहीं बीते दिनों अलकायदा प्रमुख जवाहिरी ने मुस्कान की तारीफ में करीब नौ मिनट का वीडियो संदेश जारी किया, वीडियो पर कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई ने भी जांच के आदेश दे दिए हैं.

हालंकि मुस्लिम सगठनों की अलकायदा की टिपण्णी से पहले ही मुस्कान के पिता मोहम्मद हुसैन खान ने ही वीडियो से किनारा कर लिया था, उन्होंने अपने एक बयान में कहा था कि, उनका अलकायदा से कोई लेना देना नहीं है. जवाहिरी कौन यह भी वह नहीं जानते। हमें उनकी तारीफ की जरूरत नहीं है. हम यहां खुश हैं.

देश का एक अन्य मुस्लिम संगठन, जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने अलकायदा पर कहा कि, हिजाब मामला एक संवेदनशील मामला है. कर्नाटक में जो भी हुआ उसमें मुस्कान की तारीफ की जा रही है। यदि इस तरह के संगठन ने हमारे मुल्क पर कुछ कहा है तो उसको बड़े ही संवेदनशीलता से लिया जाता है। तारीफ कोई भी कर सकता है, लेकिन यह हमारे मुल्क का मामला है और इसमें किसी भी विदेशी संगठन को दखलंदाजी देने की जरूरत नहीं है.

जो इस तरह के मामलों को उठाकर अपने राजनीतिक फायदे उठाना चाहते हैं, सिर्फ वही चाहते हैं कि यह मसला ज्यादा से ज्यादा उठाया जाए. हिजाब का मसला पहली बार नहीं उठा है, बच्चे शुरूआत से ही हिजाब पहनते चले आ रहे हैं.

एक अन्य मुस्लिम संगठन ऑल इंडिया मजलिस- ए- मुशावरत (एआईएमएमएम) के अध्यक्ष नवैद हामिद ने कहा कि, अलकायदा और अल जवाहरी का इस्लाम से कितना लेना देना है, वो इस बात से पता लगता है कि इन्होंने मिडल ईस्ट और अफगानिस्तान में मुसलमानों को मारा है। यह एक राजनीतिक स्टंट है और बहुत समय बाद उनकी तरफ से किसी तरह की कोई बयान आया है.

अभी यह भी नहीं पता कि जवाहरी जिंदा भी है या नहीं, क्योंकि कहा जाता है कि, उनको मार दिया गया है। यदि वह जिंदा है तो भी हम मुसलमान कहना चाहते हैं कि भारत के मुसलमान अपने मसलों को हल करने की क्षमता रखता है और हमें किसी दहशतगर्द की दखलंदाजी की जरूरत नहीं है और न ही हम पसंद करते हैं.

भारत का मुसलमान अलकायदा को दहशतगर्द मानता है। और उनका भारत के ताल्लुक से यह हमदर्दी जो है, यह हमदर्दी नहीं है बल्कि जो ताकतें भारत के अंदर उनकी विचारधारा की हैं वह इस्लामोफोबिया पैदा कर रही हैं.

इसके अलका दिल्ली स्थित शाही मस्जिद फतेहपुरी के शाही इमाम डा. मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि, हमने उनसे नहीं कहा कि हमारी तारीफ करो, हमारा कोई लेना देना थोड़े ही है. मुस्कान की तारीफ हर कोई कर रहा है, जो काम अच्छा होगा उसकी सभी लोग तारीफ ही करेंगे। हम कोई गलत काम नहीं कर रहे.

दरअसल कर्नाटक हिजाब मामले में पहले ही हाई कोर्ट अपना फैसला दे चुकी है जिसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गई है. हाइकोर्ट की फुल बेंच ने अपने 129 पन्ने के फैसले में कुरान की आयतों और कई इस्लामी ग्रंथों का हवाला दिया और इन उद्धरणों के आधार पर अदालत ने कहा था कि हिजाब इस्लाम के लिए अनिवार्य नहीं है.