Haryana: हरियाणा सरकार ने महर्षि कश्यप जयंती को सरकारी तौर पर मनाने का लिया फैसला

महर्षि कश्यप ने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया. महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे. महर्षि कश्यप के अनुसार, ‘दान, दया और कर्म-ये तीन सर्वश्रेष्ठ धर्म हैं और बिना दान सब कार्य व तप बेकार हैं.’ महर्षि कश्यप तामसिक प्रवृतियां त्यागकर अहिंसा, धर्म, परोपकारिता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा जैसी सात्विक प्रवृतियां अपनाने के लिए प्रेरित करते थे.

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल (Photo Credits ANI)

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार (Haryana Government) समय-समय पर पूरे प्रदेश में सार्वजनिक सभाओं, समारोहों, सेमिनारों का आयोजन कर धार्मिक गुरुओं, संतों और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती रही है. इसके अलावा हरियाणा में महापुरुषों की जयंती मनाने के लिए एक संत महापुरुष विचार प्रसार योजना भी विशेष तौर पर शुरू की गई है. अब इस योजना में और भी महापुरुषों को जोड़ा गया है. इसी कड़ी में हरियाणा सरकार के सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा 24 मई 2022 को महर्षि कश्यप (Maharishi Kashyap Jayanti) की जयंती पर करनाल में राज्य स्तरीय समारोह आयोजित किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में प्रदेश भर से हजारों लोग पहुंचेंगे और संतो का आशीर्वाद लेंगे. मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करेंगे. Haryana: 30 जनवरी को शहीदों की स्मृति में सभी सरकारी कार्यालयों में दो मिनट का मौन धारण किया जाएगा

यह पहली बार है, जब हरियाणा में महर्षि कश्यप जयंती को सरकारी तौर पर मनाने का फैसला लिया गया है. प्रदेश स्तर पर महर्षि कश्यप जयंती मनाए जाने से लोगों में भारी उत्साह है. इस फैसले पर समाज की सभी संस्थाओं ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का धन्यवाद किया है. मुख्यमंत्री की सोच है कि धार्मिक गुरुओं और संतों की शिक्षाओं, विचारधाराओं और दर्शन को समाज में प्रचारित किया जाना चाहिए. सृष्टि के सृजक सप्तऋषि महर्षि कश्यप ब्रह्मा जी के मानस-पुत्र और मरीची ऋषि के महातेजस्वी पुत्र थे. इन्हें अरिष्टनेमी के नाम से भी जाना जाता था. मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे. कश्यप मुनि निरन्तर धर्मोपदेश करते थे, जिनके कारण उन्हें ‘महर्षि’ जैसी श्रेष्ठतम उपाधि हासिल हुई.

महर्षि कश्यप ने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया. महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे. महर्षि कश्यप के अनुसार, ‘दान, दया और कर्म-ये तीन सर्वश्रेष्ठ धर्म हैं और बिना दान सब कार्य व तप बेकार हैं.’ महर्षि कश्यप तामसिक प्रवृतियां त्यागकर अहिंसा, धर्म, परोपकारिता, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा जैसी सात्विक प्रवृतियां अपनाने के लिए प्रेरित करते थे. महर्षि कश्यप ने समाज को एक नई दिशा देने के लिए ‘स्मृति-ग्रन्थ’ जैसे महान् ग्रन्थ की रचना की. इसके अलावा महर्षि कश्यप ने ‘कश्यप-संहिता’ की रचना करके तीनों लोकों में अमरता हासिल की.

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि महर्षि कश्यप समाज के सच्चे मार्गदर्शक थे. उन्होंने समाज को नई दिशा दी. हमें उनकी शिक्षाओं पर चलकर समाज को आगे बढ़ाना चाहिए.  उन्होंने कहा कि महर्षि कश्यप द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजना में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान की यशोगाथा हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों एवं अन्य अनेक धार्मिक साहित्यों में वर्णित है. ऐसे महातेजस्वी, महाप्रतापी, महायोगी, सप्तऋषियों में महाश्रेष्ठ व सृष्टि सृजक महर्षि कश्यप जी को हम सभी कोटि-कोटि नमन् करते हैं.

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