अहमदाबाद, 2 दिसंबर : हाल के वर्षों में गुजरात में एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति सामने आई है, जिसमें किशोरों के गुस्से के गंभीर आपराधिक गतिविधियों में बदलने की घटनाएं बढ़ी हैं. गुजरात के मध्य में दो शहर सुंदरपुरी और कच्छ से किशोरों के गुस्से के चलते ऐसी भयावह कहानी सामने आई जो पारिवारिक बंधनों और सामाजिक मानदंडों की नींव को हिला देगी. मामला 2017 का है. गांधीधाम के सुंदरपुरी में 17 वर्षीय लड़की मीना देवीपूजक ने घर के कामों को लेकर एक सामान्य विवाद के चलते गुस्से में आकर अपनी मां दानीबेन पर चाकू से हमला किया. कुलपिता वल्लभ देवीपूजक के नेतृत्व वाले परिवार में उस रात, तीखी बहस और अपनी मां द्वारा थप्पड़ के बाद, मीना काफी आग-बबूला थी.
अधिकारियों ने बताया, ''वह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रही थी. जब घरवाले सो रहे थे, तो मीना ने तेज धारदार चाकू से पहले अपनी मां पर हमला किया, फिर अपनी 27 वर्षीय बहन मालती पर. इस हमले को जब उसकी सबसे छोटी बहन मानसी ने देखा, तो उसने भी मानसी पर हमला कर उसे चोटिल कर दिया. हमले में मानसी की जान बच गई, दानीबेन और मालती उतनी भाग्यशाली नहीं थीं. इंस्पेक्टर जेपी जाडेजा के नेतृत्व में गांधीधाम पुलिस ने मानसिक बीमारी और पिछली आक्रामक घटनाओं से चिह्नित मीना के परेशान अतीत को एक साथ जोड़ा, जिससे एक परेशान किशोर की दर्दनाक तस्वीर सामने आई. यह भी पढ़ें : बिहार में असफल है शराबबंदी, हमारी सरकार आई तो शराबबंदी कानून होगा वापस: जीतन राम मांझी
एक अन्य घटना सितंबर 2023 में कच्छ से भी सामने आई, जहां 17 वर्षीय लड़की ने अपनी मां लक्ष्मी भट्ट की हत्या की साजिश रची. मुंद्रा मरीन पुलिस की जांच में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ. पुलिस जांच में पता चला है कि मां का जिस शख्स के साथ संबंध था, बेटी का भी उसी के साथ अफेयर था. मृतका बेटी की इस रिश्ते के खिलाफ थी, जिसके चलते बेटी ने इस घटना को अंजाम दिया. हत्या में नाबालिग बेटी का साथ उसके 37 वर्षीय प्रेमी योगेश जोतियाना और उसका सहयोगी नाराण जोगी ने दिया.
तीनों एक सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने की आड़ में लक्ष्मी को बहला-फुसलाकर हमीरमोरा के पास एक सुनसान समुद्र तट पर ले गए. वहां, जोतियाना ने लक्ष्मी पर धारदार हथियार से हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई और उसके शरीर को कब्र में छिपा दिया गया. ये दो अलग-अलग घटनाएं, किशोरों के गुस्से और अत्यधिक हिंसा वाली तस्वीर पेश करती हैं. ये केवल पारिवारिक कलह के अलग-अलग मामले नहीं हैं, बल्कि गुजरात में गहरे सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों के लक्षण हैं, जो किशोरों में गुस्से का कारण बनते हैं.