Cairn Legal Dispute: भारत सरकार ने केयर्न्स कानूनी विवाद पर भ्रामक और गलत रिपोर्टिंग की निंदा की
भारत सरकार ने मीडिया के एक वर्ग में कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा की जा रही इस आशय की भ्रामक और असत्य रिपोर्टिंग की कड़ी भर्त्सना की है जिसके माध्यम से यह प्रचारित किया जा रहा है कि केयर्न्स कानूनी विवाद में सरकार ने अपने स्वामित्व वाले बैंकों को यह निर्देश दिया था कि वे विदेशों में इस कम्पनी के विदेशी मुद्रा खातों पर रोक की सम्भावना/ आशंका के चलते अपना धन निकाल लें.
नई दिल्ली: भारत सरकार (Government of India) ने मीडिया के एक वर्ग में कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा की जा रही इस आशय की भ्रामक और असत्य रिपोर्टिंग की कड़ी भर्त्सना की है जिसके माध्यम से यह प्रचारित किया जा रहा है कि केयर्न्स कानूनी विवाद (Cairn Legal Dispute) में सरकार ने अपने स्वामित्व वाले बैंकों को यह निर्देश दिया था कि वे विदेशों में इस कम्पनी के विदेशी मुद्रा खातों पर रोक की सम्भावना/ आशंका के चलते अपना धन निकाल लें. ऐसे सभी स्रोतों पर आधारित रिपोर्ट्स को भ्रामक एवं असत्य बताते हुए भारत सरकार ने कहा है कि इस प्रकार की सभी सूचनाएं पूरी तरह से गलत हैं क्योंकि ये वास्तविक तथ्यों पर आधारित नहीं हैं. यह भी पढ़ें- भारत सरकार ने Mucormycosis से लड़ने के लिए Amphotericin-B की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कदम उठाए.
ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ निहित स्वार्थ वाले तत्वों ने इस प्रकार की भ्रामक सूचनाएं फैलाई हैं जो अक्सर अज्ञात एवं अपुष्ट स्रोतों पर निर्भर होने के साथ ही इस मामले में हो रही वास्तविक एवं कानूनी कार्यवाही का एकपक्षीय चित्र ही सामने लाती हैं. इस कानूनी मामले में भारत सरकार बड़ी सक्रियता से अपनी बात रख रही हैI तथ्य यह है कि सरकार ने दिसम्बर 2020 में दि हेग अपीलीय न्यायालय द्वारा दिए गए अत्यधिक त्रुटिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय वाद निर्णय को बदलने के लिए 22 मार्च, 2021 को आवेदन भी किया हुआ है.
सरकार ने कई ऐसे तर्क दिए हैं जो न केवल इस निर्णय को बदल सकते हैं बल्कि ये इन बातों तक ही सीमित नहीं हैं : (i) वाद न्यायाधिकरण ने एक ऐसे कर विवाद पर गलत निर्णय दिया जो भारतीय गणराज्य ने कभी प्रस्तावित ही नहीं किया था, और/ न ही इस पर कानूनी कार्यवाही के लिए अपनी सहमति जताई थी, (ii) इस निर्णय पर किए जा रहे दावे कर से बचने की एक ऐसी अपमान जनक/ कपटपूर्ण योजना पर आधारित हैं जिनसे भारत के कर नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन हो रहा था जिससे भारत-ब्रिटेन (यूके) द्विपक्षीय निवेश समझौते के अंतर्गत केयर्न्स को किसी तरह के कथित निवेश संरक्षण से रूप से वंचित किया गया; और (iii) यह निर्णय केयर्न्स की दोनों देशों में कहीं भी कर न देने (डबल नॉन-टैक्सेशन) की योजना को गलत तरीके से जायज ठहराता है जो विश्व में कहीं भी कर देने से बचने के लिए बनाई गई थी और ऐसा करना सभी देशों की सरकारों की लोक नीतियों के लिए बड़ी चिंता का कारण हैI यह कार्यवाही अभी रुकी हुई है. सरकार विश्वभर में इस विवाद पर अपना बचाव करने के लिए सभी तरह के कानूनी विकल्प अपनाने के लिए कृत संकल्प है.
यह भी कहा गया है कि इस मामले का समाधान करने के लिए बातचीत हेतु केयर्न्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य प्रतिनिधियों ने भारत सरकार से सम्पर्क किया हैI इस बारे में अब तक सकारात्मक और सार्थक विचार विमर्श हुआ है और सरकार देश के कानूनी ढाँचे के प्रावधानों के अंतर्गत इस मामले के सर्वमान्य समाधान के लिए तैयार है.
(पीआईबी से साभार)