जम्मू-कश्मीर: अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा में सरकार को खर्च करने पड़ते हैं इतने करोड़, जीते हैं आलिशान जिंदगी
इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर भारत सरकार की बड़ी रकम खर्च होती थी. फरवरी 2018 की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 10 सालों में हुर्रियत कांफ्रेस के नेताओं पर सरकार के करीब 11 करोड़ रुपये खर्च हुए.
पुलवामा हमले के बाद भारतीय सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए रविवार को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के चार अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा हटा ली.जिन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई है उनमें हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चीफ मीरवाइज उमर फारूक, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर अब्दुल गनी भट और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता बिलाल लोन शामिल हैं. बता दें कि जम्मू कश्मीर में भारत सरकार कुल नौ अलगाववादी नेताओं को सुरक्षा इंतजाम मुहैय्या कराती है, जिनमें चार की सुरक्षा वापस ले ली गई है. इस फैसले के बाद सरकार की ओर से दी जा रही अन्य कोई सुविधा भी अब इन्हें नहीं मिलेंगी.
बता दें कि इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर भारत सरकार की बड़ी रकम खर्च होती थी. फरवरी 2018 की एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 10 सालों में हुर्रियत कांफ्रेस के नेताओं पर सरकार के करीब 11 करोड़ रुपये खर्च हुए. तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने खुद बताया था कि हुर्रियत के 14 नेताओं पर 2008 से 2017 के बीच ये रकम खर्च हुई. इनमें से कई नेताओं को 5 सिक्योरिटी गार्ड और 4 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर मिले हुए थे. यह भी पढ़ें- पुलवामा आतंकी हमले के बाद ICJ में फिर भिड़ेंगे भारत-पाकिस्तान, कुलभूषण जाधव पर आज शुरू होगी आखिरी सुनवाई
मीरवाइज पर हुआ सबसे ज्यादा खर्च
ताजा आंकड़ों के मुतबिक सबसे ज्यादा खर्च अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के एक धड़े के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुक की सुरक्षा पर हुआ है, वो इसलिए क्योंकि सबसे भारी-भरकम सुरक्षा घेरा मीरवाइज उमर फारुक के पास ही है. मीरवाइज श्रीनगर के डाउनटाउन के नगीन इलाके में रहता हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मीरवाइज की सुरक्षा में 8 से 10 सरकार सुरक्षाकर्मी, 6 पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर यानी PS, 1 बुलेट प्रूफ अंबेसडर कार और एक एस्कॉर्ट जिप्सी शामिल थी. मीरवाइज उमर फारुक पर सरकार ने 6.33 करोड़ रुपए, प्रो अब्दुल गनी बट पर 2.34 करोड़ रुपए और बिलाल गनी लोन पर 1.65 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
भारत सरकार द्वारा सुरक्षा हटाए जाने पर मीरवाइज उमर फारुक के प्रवक्ता ने सरकार के इस फैसले पर एक बयान जारी किया है, हुर्रियत नेताओं ने कभी सुरक्षा की मांग नहीं की थी. सरकार ने ही हमें सुरक्षा उपलब्ध कराई थी और सरकार ने ही वापस लेने का फैसला किया है.
आलिशान जिंदगी जीते हैं मीरवाइज
मीरवाइज उमर फारुख जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत सम्मेलन के दो प्रमुख गुटों में से एक अवामी एक्शन कमेटी के अध्यक्ष हैं. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, कश्मीर की 'आजादी' की मांग करने वाला सबसे बड़ा संगठन है. मीरवाइज को सबसे ज्यादा सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. उन्हें Z प्लस की सुरक्षा प्राप्त है. अक्टूबर 2014 में जॉर्डन के 'रॉयल इस्लामिक स्ट्रेटेजिक स्टडीज सेंटर' ने मीरवाइज को 500 सबसे प्रभावशाली मुस्लिमों की सूची में शामिल किया था.
मीरवाइज संपन्न परिवार से तालुक्क रखते हैं. उनके स्टाफ में करीब डेढ़ दर्जन कश्मीरी युवक हैं. सभी टेक्नोलॉजी फ्रेंउली हैं. घर बेहद आलीशान है. घर के चारों ओर सीसीटीवी लगे हैं. घर का फर्नीचर अखरोट की लकड़ी से बना. पूरे घर में वुडन फर्श है. हर कमरे की छत पर कश्मीरी नक्काशी है.