नई दिल्ली: वाशिंगटन स्थित 'लोकतंत्र समर्थक और नागरिक स्वतंत्रता' थिंक टैंक द्वारा मोदी सरकार के कार्यकाल में भारत में आम नागरिकों की स्वतंत्रता कम होने का दावा किया गया है. अमेरिकी एनजीओ फ्रीडम हाउस (Freedom House) ने इससे जुड़ा एक रिपोर्ट 'फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2021' (Freedom in the World 2021) हाल ही में सार्वजनिक किया है. जिसमें भारत को ‘आंशिक रूप से फ्री’ (Partly Free) की श्रेणी में रखा गया है. इस रिपोर्ट में भारत के अभिन्न हिस्से कश्मीर (Kashmir) को लेकर एक बड़ी चूक की गई है. दरअसल फ्रीडम हाउस ने अपनी रिपोर्ट में भारत के नक्शे को गलत तरीके से प्रदर्शित किया है. जिसका भारत में जमकर विरोध हो रहा है. सरकार प्रायोजित सीमापार आतंकवाद पर रोक लगाये पाकिस्तान: भारत
फ्रीडम हाउस ने अपनी रिपोर्ट में भारत को पिछले साल के 71 के मुकाबले इस साल 67 का स्कोर दिया है. इस गिरावट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में मुस्लिमों पर हमले और राजद्रोह के मामले को भी जिम्मेदार बताया गया है. जबकि विवादास्पद रिपोर्ट में कश्मीर को ‘भारतीय कश्मीर’ और ’पाकिस्तान कश्मीर’ के रूप में अलग से दर्शाया गया है. उन्हें ‘एक देश के विपरीत क्षेत्र’ के तौर पर बताया गया है.
मौजूदा सरकार से हमारी विभिन्न मुद्दों पर मतभिन्नता है और सड़क से लेकर संसद तक हम उनकी नीतियों का विरोध भी करते हैं, पर इसकी आड़ लेकर हम किसी को ‘अलगावादी एजेंडा’ नहीं चलाने दे सकते।
यह मानचित्र भारत की अखंडता को चोट पहुँचाने का प्रयास है, @TwitterIndia इस पर तत्काल ऐक्शन ले। https://t.co/coEV300y4i
— Deepender S Hooda (@DeependerSHooda) March 4, 2021
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा (Deepender Hooda) ने गुरुवार को कहा कि वर्तमान की केंद्र सरकार से भले ही उनकी विभिन्न मुद्दों पर मतभिन्नता है और सड़क से लेकर संसद तक उन नीतियों का विरोध भी किया जा रहा है. लेकिन इसकी आड़ में कोई भी ‘अलगावादी एजेंडा’ नहीं चला सकता है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि भारत के खिलाफ किसी भी हरकत को होने नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा “यह मानचित्र भारत की अखंडता को चोट पहुँचाने का प्रयास है, ट्विटर इंडिया इस पर तत्काल ऐक्शन ले.”
उल्लेखनीय है कि ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड’ राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता पर एक वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट है. इस वर्ष की रिपोर्ट में 195 देशों के लोकतंत्र के हाल का मूल्यांकन किया गया है. इसके लिए 25 आधार तय किये गए थे. इसी स्कोर पर देशों को फ्री, आंशिक रूप से फ्री और फ्री नहीं की श्रेणी में बांटा गया. कुल 195 देशों में से केवल 28 देशों का स्कोर पहले से बेहतर बताया गया है.