
नई दिल्ली: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को लेकर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय निगरानी संस्था FATF (Financial Action Task Force) ने एक असामान्य और सख्त बयान जारी किया है. यह पहली बार है जब FATF ने भारत में हुए किसी आतंकी हमले पर सीधा और सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा, "यह और अन्य हालिया आतंकी हमले उस समय तक संभव नहीं होते जब तक इनके पास फंडिंग और पैसे की आवाजाही का साधन न होता."
FATF ने अपने बयान में ‘Strengthening Efforts to Combat Terrorist Financing’ शीर्षक के तहत यह भी स्पष्ट किया कि वे अब केवल कानूनों और कागज़ी ढांचे की नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत पर आधारित कार्यवाहियों की भी समीक्षा कर रहे हैं. इससे यह साफ संकेत मिलता है कि FATF अब आतंकी फंडिंग रोकने के दावों की वास्तविकता को भी गंभीरता से परखेगा.
भारत की कूटनीतिक कोशिशों को मिला समर्थन
भारत ने हाल ही में FATF के सदस्य देशों के साथ इंटेलिजेंस साझा किया है, जिसमें पाकिस्तान से जुड़े आतंकी फंडिंग नेटवर्क की विस्तृत जानकारी दी गई है. भारत का तर्क है कि भले ही पाकिस्तान 2022 में ग्रे लिस्ट से बाहर हो गया था, लेकिन उसकी जमीन पर आतंकी नेटवर्क अब भी सक्रिय हैं. सिर्फ कानूनी नकाब में छिपाए गए हैं.
पहलगाम हमला बना सबूत
पहलगाम में हुए इस हमले के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में हुई अन्य आतंकी घटनाएं भी इस बात का सबूत बन गई हैं कि सीमा पार से फंडिंग और सहयोग आज भी जारी है. भारत ने FATF के मंच पर एक नया डोज़ियर पेश किया है, जिसमें वर्चुअल करेंसी, तकनीकी माध्यमों से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिंक को ट्रैक किया गया है.
FATF अब यह देखने पर जोर दे रहा है कि देशों ने सिर्फ कानून बनाए हैं या वास्तव में आतंकी फंडिंग रोकने के लिए प्रभावी कदम भी उठाए हैं. भारत इसे एक कूटनीतिक अवसर के रूप में देख रहा है और पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटा रहा है.