देशभर में ईद-उल-अजहा की रौनक, राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने दी बधाई, जानें क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी
ईद-उल-अजहा (Eid al-Adha) यानी बकरीद (Bakrid) को कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है. इस साल बकरीद का यह त्योहार आज 12 अगस्त 2019 को मनाया जा रहा है. इस्लाम धर्म के पवित्र महीने रमजान ईद के करीब 70 दिन बाद हजरत इस्माइल (Hazrat Ismail) की कुर्बानी की याद में बकरीद का यह त्योहार मनाया जाता है. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के मद्देनजर कड़े इंतजाम किए गए हैं.
ईद-उल-अजहा (Eid al-Adha) यानी बकरीद (Bakrid) को कुर्बानी का त्योहार भी कहा जाता है. इस साल बकरीद का यह त्योहार आज 12 अगस्त 2019 को मनाया जा रहा है. इस्लाम धर्म के पवित्र महीने रमजान ईद के करीब 70 दिन बाद हजरत इस्माइल (Hazrat Ismail) की कुर्बानी की याद में बकरीद का यह त्योहार मनाया जाता है. इस मौके पर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के मद्देनजर कड़े इंतजाम किए गए हैं. उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, दिल्ली के जामा मस्जिद और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लोगों ने नमाज पढ़ के एक दूसरे के गले मिलें.
इस खास मौकेपर देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर बधाई देते हुए कहा, ईद-उल-जुहा के अवसर पर सभी देशवासियों विशेषकर हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को बधाई और शुभकामनाएं. ईद-उल-जुहा प्रेम, भाईचारे और मानव सेवा का प्रतीक है. आइए हम स्वयं को इन सार्वभौमिक जीवन मूल्यों के प्रति समर्पित करें जो हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है.
वहीं पीएम मोदी ने भी ईद-उल-जुहा' के मौके पर देशवासियों को बधाई दी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी देश की जनता को ईद-उल-अजहा की बधाई दी.
दिल्ली के जामा मस्जिद पर ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करते लोग
अलीगढ़ ईद-उल-अजहा की नमाज अदा करते लोग
मध्यप्रदेश में भी लोगों ने ईद-उल-अजहा की नमाज ईदगाह मस्जिद में अदा की
इसलिए देते हैं कुर्बानी
इस्लाम धर्म में ईद उल अज़हा को सुन्नते इब्राहीम भी कहते है. इस्लाम की मानयताओं के अनुसार अल्लाह पाक ने हजरत इब्राहिम अलैस्लाम की परीक्षा लेने के मकसद से उन्हें अपनी सबसे पसंद चीज की कु्र्बानी देने को लेकर हुक्म दिया. इस हुक्म के बाद हजरत इब्राहिम अलैस्लाम लगा की उनके पास सबसे कोई प्रिय और करीब कुछ है तो वह उनका बेटा है. इसलिए उन्होने फैसला किया कि वे अपने बेटे इस्माईल को अल्लाह के राह में कुर्बान करेंगे.
फैसले के मुताबिक इन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार होने के बाद कुर्बानी देते समय उन्हें कुर्बानी देते समय रहम ना आ जाए और वे कुर्बानी ना दे सके. इसलिए इन्होंने अपनी आंख में पट्टी बांधने के बाद बेटे की कुर्बानी देने लगे. कुर्बानी देने के बाद जब उन्होंने आंख से पट्टी खोली तो देखा की बेटा सामने खड़ा हुआ है, और भेड़ कटा हुआ है. तभी से इस्लाम धर्म में कुर्बानी देने की प्रथा चली आ रही है.