नई दिल्ली, 7 जुलाई: ईद-उल-अजहा यानी बकरीद का इस साल 10 जुलाई 2022 को रविवार के दिन पूरे देश में मनाया जाएगा. बकरीद के पहले इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एन्ड रिफॉर्म्स (इम्पार ) संगठन व अन्य धर्मगुरुओं की ओर से गाइडलाइंस जारी की गई है. Eid al-Adha Moon Sighting 2022 Live Updates: सऊदी अरब-इंडोनेशिया, ओमान में आज धू अल-हिज्जा का चांद देखने की होगी कोशिश
संगठन के मुताबिक, इस्लाम स्वच्छता और शांति, लोगों की मदद करने और उनकी भावनाओं का सम्मान करने पर बहुत जोर देता है. ईद के तीन दिनों तक जारी रहने वाले पैगंबर इब्राहिम की परंपरा का पालन करते हुए मुस्लमान जानवरों की कुर्बानी करते हैं. कुर्बानी का उद्देश्य न केवल परंपरा के अनुसार एक जानवर की बलि देना है. बल्कि अपने आप को दान के कार्यों के लिए समर्पित करना है.
इसके साथ ही कई सारे बिंदुओं के जरिए लोगों से अपील की गई है कि, कुर्बानी के आयोजन के लिए सभी नगरपालिका अनुमतियां प्राप्त की जानी चाहिए और नियमों का पालन किया जाना चाहिए. जानवर को खुले में न बांधें. दूसरों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना हमारे विश्वास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए. किसी भी मामले में अपशिष्ट पदार्थ फुटपाथ, सड़कों या सीवरों में नहीं पड़ना चाहिए.
प्रतिबंधित जानवरों की बलि देने की अनुमति नहीं है. गाय और ऊंट की कुर्बानी नहीं होनी चाहिए. दिशा-निर्देशों के अनुसार, अनुमत मवेशियों की बलि की अनुमति केवल निर्धारित स्थानों पर ही दी गई है.
इसके साथ ही परिवहन या बाजार में जानवरों के साथ कोई क्रूरता नहीं होनी चाहिए. सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, परिवहन के दौरान पशु को अनावश्यक पीड़ा देना अपराध होगा और पशु का वध एक निश्चित स्थान पर और इस व्यापार में कुशल व्यक्ति के हाथों किया जाना चाहिए. जानवर के लगभग हर हिस्से के लिए खरीदार होते हैं, इसलिए कोई भी हिस्सा कूड़े में न फेंके.
मानसून के मौसम के कारण अतिरिक्त स्वच्छता बनाए रखना स्वयं के स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. विभिन्न रोगों के फैलने के लिए मच्छरों को प्रजनन स्थल प्रदान न करें और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि पर कुर्बानी के कृत्य के वीडियो को फिल्माने और साझा करने से बचें.
कुर्बानी को बूचड़खाने में करें, न कि अपने घर के अंदर या अपने दरवाजे के बाहर, और यह भी सुनिश्चित करें कि खून या मैला सड़क पर न जाए. कचरे का सही तरीके से निस्तारण करें. वहीं कम्पोस्ट बिन, गड्ढे या खुले ढेर में खून या मैला न डालें, क्योंकि यह सभी प्रकार के कीटों को आकर्षित करेगा. अंतड़ियों को इतना गहरा गाड़ा जा सकता है कि कुत्ता या कोई जानवर इसे खोद न पाए.
इसके अलावा ईद के दिन सड़कों पर नमाज पढ़ने से बचने की भी अपील की गई है. धर्मगुरुओं के अनुसार, सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा करके हम यात्रियों के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं और दूसरों को असुविधा पहुंचा रहे हैं. अगर लोगों की संख्या अधिक है तो एक से अधिक जमात रखना एक बेहतर विकल्प है.
पाकिर्ंग आरक्षित क्षेत्रों में या सड़क पर की जानी चाहिए लेकिन इस तरह से कि इससे कोई असुविधा न हो. पाकिर्ंग प्रबंधन के लिए मस्जिदों और ईदगाह में स्वयंसेवकों के समूह तैनात किये जा सकते हैं. यदि ईदगाह या मस्जिद की दूरी कम है, तो अपने वाहन के बजाय पैदल या सार्वजनिक परिवहन से जाना बेहतर है.
ईदगाहों और मस्जिदों में जहां ईद की नमाज की योजना है, वहां भीड़ प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए पुलिस और स्थानीय प्रशासन का सहयोग करें. संभावित कठिनाई के मामले में, अतिरिक्त बल के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन से अनुरोध किया जा सकता है.
जनता को असुविधा से बचने के लिए अजान और खुतबा के लिए लाउडस्पीकर की आवाज को नरम करें. नमाज के समय के बारे में पिछले दिन की नमाज या पर्चे की छपाई के माध्यम से अग्रिम रूप से सूचित किया जा सकता है.
ईदगाह और मस्जिदों में भीड़ प्रबंधन और नमाज की लाइव रिकॉडिर्ंग के लिए स्वयंसेवकों को तैनात किया जा सकता है या कैमरामैन को काम पर रखा जा सकता है. रिकॉडिर्ंग को कुछ हफ्तों के लिए सुरक्षित रखा जाना बेहतर है.
त्यौहार अपने दोस्तों और पड़ोसियों को एक साथ जश्न मनाने, खुशियां बांटने और सद्भाव फैलाने से और आकर्षक हो जाता है. यह त्योहार प्रेम, देखभाल और भाईचारे के प्रसार की भावना को ध्यान में रखते हुए मनाया जाना चाहिए.