Final Year Exams 2020: क्या सितंबर में होने वाली अंतिम वर्ष की परीक्षा होगी रद्द? सुप्रीम कोर्ट कल सुना सकता है यूजीसी केस पर फैसला
देश की शीर्ष कोर्ट कोविड-19 महामारी के दौरान विश्वविद्यालयों और कालेजों में होने वाली अंतिम वर्ष की परीक्षाओं की तारीख को लेकर आज फैसला नहीं सुनाएगी. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में 26 अगस्त को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध नहीं है, ऐसे में अब गुरुवार को निर्णय सुनाये जाने की उम्मीद है.
नई दिल्ली: देश की शीर्ष कोर्ट कोविड-19 महामारी के दौरान विश्वविद्यालयों और कालेजों में होने वाली अंतिम वर्ष की परीक्षाओं की तारीख को लेकर आज फैसला नहीं सुनाएगी. यह मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 26 अगस्त को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध नहीं है, ऐसे में अब गुरुवार को निर्णय सुनाये जाने की उम्मीद है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 30 सितंबर तक सभी विश्वविद्यालयों और कालेजों को अंतिम वर्ष व सेमिस्टर की परीक्षायें आयोजित करने के लिए कहा है. यूजीसी के इस निर्देश के खिलाफ कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से भी देशभर के विश्वविद्यालयों को अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षा लेने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है.
मिली जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी द्वारा अंतिम वर्ष की डिग्री परीक्षाएं कराने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए बीते 18 अगस्त को ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस फैसले में कोर्ट यह भी तय करेगी कि राज्य सरकार के पास आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ निर्णय लेने का अधिकार है या नहीं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुये अंतिम वर्ष की परीक्षायें नहीं करायी जायें और छात्रों के पिछले प्रदर्शन या आंतरिक आकलन के आधार पर ही नतीजे घोषित किये जायें. यूजीसी ने कोविड-19 के दौरान महाराष्ट्र और दिल्ली में परीक्षायें रद्द करने पर न्यायालय में उठाये सवाल
जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और दिल्ली के राज्य सरकारों के साथ-साथ कई जनहित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है. यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है कि 30 सितंबर से पहले अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित कराई जाए. सुनवाई के दौरान राज्य सरकारों ने दलील दी कि उनके पास चल रही कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि में परीक्षा के बिना ही छात्रों को प्रमोट करने की शक्ति है. क्योकि यूजीसी का साफ कहना है कि कोई राज्य परीक्षाएं कराये बगैर डिग्री देने का निर्णय खुद नहीं ले सकता हैं. सिर्फ यूजीसी को ही डिग्री प्रदान करने के लिये नियम बनाने का अधिकार है.
जबकि यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील थी कि देशभर में छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को बचाने के लिये ऐसा किया गया है. अंतिम वर्ष डिग्री वर्ष है और बिना परीक्षा कराए छात्र को डिग्री नहीं दी जा सकती है. छात्रों को देशी विश्वविद्यालय और आगे की शिक्षा के लिए डिग्री की जरुरत होती है. साथ ही यूजीसी ने कुछ विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित ऑनलाइन परीक्षाओं का भी जिक्र किया. उधर, एक राज्य की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि अंतिम वर्ष की परीक्षाएं नहीं आयोजित कराने से मानदंड कमजोर नहीं हो जाएंगे और यहां तक कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने भी बिना परीक्षा लिए डिग्री देने का फैसला लिया है.
कॉलेजों में अंतिम वर्ष के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराई गईं तो यूजीसी उनकी डिग्रियों को मान्यता नहीं देगी. यूजीसी के इसी निर्णय को देखते हुए देश में आठ सौ से ज्यादा विश्वविद्यालयों में से 600 से अधिक ने अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने पर सहमति जताई है. जबकि 209 विभिन्न विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं परीक्षा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.