अब कॉलेजों में भी पढ़ाने के लिए पीएचडी जरूरी, UGC ने जारी किए नए नियम

अगर आप भविष्य में शिक्षक बनना चाहते है तो यह खबर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. अब यूनिवर्सिटी में शिक्षक बनने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी. मोदी सरकार देश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए आनेवाले समय में कई कड़े फैसले लें सकती है.

उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा के लिए नए नियम जारी (Photo Credit: PTI)

नई दिल्ली: अगर आप भविष्य में शिक्षक बनना चाहते है तो यह खबर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. अब यूनिवर्सिटी में शिक्षक बनने के लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य होगी. मोदी सरकार देश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए आनेवाले समय में कई कड़े फैसले लें सकती है. इसी क्रम में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में टीचरों की भर्ती और प्रमोशन के लिए न्‍यूनतम योग्‍यता को लेकर नए नियम जारी किये हैं.

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यूजीसी के नए नियमों को मिडिया के समक्ष पेश किया. जावडेकर के मुताबिक, वर्ष 2021-22 सत्र से यूनिवर्सिटी में अस्सिटेंट प्रोफेसर की भर्ती के लिए पीएचडी अनिवार्य होगी. जबकि कॉलेजों में पहले की भांति नेट और मॉस्टर डिग्री के आधार पर शिक्षक बन सकते हैं. लेकिन यदि कॉलेज में अस्सिटेंट प्रोफेसर पद पर तैनात शिक्षक को प्रमोशन चाहिए होगी तो पीएचडी जरूरी होगी.

नए नियमों के मुताबिक ओलंपिक, एशियन और कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में मेडल जीतने वालों को असिस्‍टेंट डायरेक्‍टर, कॉलेज डायरेक्‍टर, डिप्‍टी डायरेक्‍टर के लिए योग्‍य माना जाएगा. इसके अलावा 2010 के नियम और बाद के संशोधनों में शिक्षको के प्रोत्साहन संबंधी प्रावधान बने रहेंगे. इसके तहत पीएचडी और एमफिल कर रहे छात्र को केंद्र सरकार भत्ता देगी.

पहली बार कॉलेजों में प्रोफेसर स्तर तक पदोन्नति के लिए प्रावधान किया गया है. शीर्ष 500 ग्लोबल रैंकिंग के विश्वविद्यालय/संस्थान से पीएच.डी डिग्री प्राप्तकर्ताओं के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर की भर्ती के लिए विशेष प्रावधान किया गया है.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक शोध सुविधाएं, कौशल तथा संरचना साझा करने के लिए राज्य के अंदर विश्वविद्यालयों में रिसर्च क्लास्टर बनाए जाएंगे ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके और उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच तालमेल बन सके.

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