New Education Policy 2020: केंद्रीय मंत्रीमंडल ने दी शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी, जानिए क्या-क्या है खास

प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में बुधवार को शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी गई। इस नई नीति के तहत प्री स्‍कूल के बच्‍चों के लिए एक्टिविटी बेस्‍ड लर्निंग पर फोकस होगा.

छात्र (Photo Credits: Facebook)

New Education Policy 2020: प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)  की अध्‍यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में बुधवार को शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी गई। इस नई नीति के तहत प्री स्‍कूल के बच्‍चों के लिए एक्टिविटी बेस्‍ड लर्निंग पर फोकस होगा. कक्षा छह से ही बच्‍चों को कोडिंग सिखाई जाएगी.  साथ ही कक्षा छह से ही मल्‍टीडिसिप्लिनरी पाठ्यक्रमों के साथ वोकशनल कोर्स शामिल किए जाएंगे. 12वीं पास करने वाले हर एक छात्र के पास कम से कम एक स्किल होगी. वहीं उच्च शिक्षा में अब इंजीनियरिंग के साथ म्‍यूजिक और कुकिंग की पढ़ाई करने जैसी व्‍यवस्‍था भी होगी.

शिक्षा नीति का संक्षिप्‍त इतिहास

> कोठारी कमीशन ने 1968 में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति बनायी थी, जो 1986 तक लागू रही.

> 1986 में नई शिक्षा नीति- नेशनल पॉलिसी ऑन एजूकेशन (एनपीई) लायी गई.

> 1992 में एनपीई में संशोधन किया गया. कुल मिलाकर देखें तो 1986 की शिक्षा नीति ही हमारे देश में अब तक लागू थी.

शिक्षा नीति 2020 के लिए सरकार ने दो समितियां बनायीं- टी एसआर सुब्रमणियम की समिति, जिसने मई 2016 में अपना प्रतिवेदन दिया. उसके बाद इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में एक कमेटी बनायी गई। उन्‍होंने अपना प्रत्यावेदन 31 मई 2019 को दिया। इस शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए निम्न प्रकार से सुझाव लिए गए यह भी पढ़े: New Education Policy 2020: मोदी सरकार का बड़ा फैसला, नई शिक्षा नीति को मिली मंजूरी, जानें इसमें क्या होगा खास

> सभी ढाई लाख ग्राम पंचायतों से सुझाव लिए गए.

> 26 जनवरी 2015 से 31 अक्तूबर 2015 के बीच माइगव डॉट इन वेबसाइट के माध्‍यम से सुझाव लिए गए.

> एनईपी का ड्रॉफ्ट तैयार करते वक्त 22 भाषाओं में ऑडियो बुक तैयार की गई

> आंध्र प्रदेश, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, पुड्डुचेरी, कर्नाटक और ओडिशा के सांसदों से परिचर्चा की गई.

> 21 सितंबर 2019 को केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की एक विशेष मीटिंग बुलायी गई.

> संसदीय स्थाई समिति ने इस पर अपने सुझाव दिए.

> इस शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए लोगों से राय ली गई.

इस शिक्षा नीति के साथ हम 2030 तक 50 प्रतिशत ग्रॉस एनरोलमेंट तक पहुंचेंगे। उसके लिए शिक्षा की नई व्‍यवस्‍था लायी जा रही है। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश को सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगी। इसके लिए व्यापक विचार-विमर्श किया गया है.

शिक्षा नीति से जुड़ी प्रमुख बातें

उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी दी। इसके प्रमुख बिंदू हैं- शिक्षा के कई स्तरों पर क्रेडिट मिलेगी, चार साल की पढ़ाई के बाद सीधा रिसर्च में जा सकेंगे, कई विधाओं में एकसाथ शिक्षा प्राप्त की जा सकेगी, कॉलेजों को ग्रेड के आधार पर वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता दी जाएगी. उच्च शिक्षा के लिए एक नियामक होगा। उसमें आगे कई व्यवस्था होगी. स्वयं जानकारी देने की पारदर्शी व्यवस्था होगी.

डीम्ड, राज्य और केन्द्र सभी के विश्वविद्यालय में एक ही मानक स्तर होंगे। जीडीपी का 6 प्रतिशत खर्च होगा, 4.43 प्रतिशत वर्तमान में है. राष्ट्रीय रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में फंडिंग होगी. देश की उच्च शिक्षा को उच्च स्तरीय बनाया जाएगा, ताकि विश्व के अन्य संस्थानों की बराबरी हो.तकनीक को शिक्षा में शामिल किया जाएगा। साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई पीछे न छूटे.

स्‍कूलों में वर्चुअल लैब

देश की प्रमुख 8 भाषाओं में ऑनलाइन ई-कोर्स विकसित की जाएगी. वर्चुअल लैब बनाई जाएगी. इसके अलावा पूर्व प्राथमिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम जारी किया जाएंगे. बुनियादी शिक्षा के आधार पर तीसरी कक्षा तक पढ़ाई होगी। 5+3+3+4 के आधार पर शिक्षा होगी. अभी तक 1 से 10वीं और बाद में उच्च शिक्षा है। पांच साल तक पूर्व प्राथमिक शिक्षा होगी। कक्षा 6 से कोडिंग सिखाई जाएगी. सभी स्तरों पर कला और खेल की शिक्षा भी दी जाएगी। सर्व समावेशी शिक्षा होगी, जिसमें दिव्यांग और तेज बच्चों पर भी ध्यान दिया गया है.

बच्‍चों को करनी होगी इंटरनशिप

बालिका विद्यालयों को 12वीं तक बढ़ाया जाएगा. पाठ्यक्रम को जरूरी तक सीमित किया जाएगा। वोकेशनल 6 साल से शुरू होगा। इंटरनशिप भी शामिल होगी.पहले तीन वर्ष के लिए अभिभावकों को जानकारी दी जाएगी। बोर्ड परीक्षा का भार कम करने की कोशिश की जाएगी. रटने की बजाए शिक्षा के उपयोग पर ध्यान दिया जाएगा.

पांचवी से आठवीं तक मातृ व क्षेत्रीय भाषा में शिक्षाा दी जाएगी। स्वयं, सहपाठी और शिक्षक के साथ रिपोर्टकार्ड बनेगा और हर वर्ष रिपोर्ट कार्ड में योग्यता में विकास के सुझाव दिए जाएंगे. बच्चे को परखने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. किताबें पढ़ने पर जोर दिया जाएगा.

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