GDP: अर्थशास्त्रियों ने मोदी से कहा निजीकरण में तेजी लाएं, ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाएं

जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को पूरी सक्रियता के साथ आगे बढ़ाने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 9 जनवरी : जाने-माने अर्थशास्त्रियों ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ बैठक में सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को पूरी सक्रियता के साथ आगे बढ़ाने और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने का आग्रह किया. उन्होंने देश में निवेशकों का विश्वास बनाये रखने के लिये अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतों के फैसलों को सरकार द्वारा चुनौती दिये जाने से भी बचने की सलाह दी. प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कन्फ्रेंसिंग (Video conferencing) के जरिये हुई बजट पूर्व बैठक में अर्थशास्त्रियों ने यह भी कहा कि सरकार को 2021- 22 के आगामी बजट में राजकोषीय घाटे के प्रति उदार रुख अपनाना चाहिये. इस समय कोरोना वायरस (Corona virus) से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान के लिये खर्च बढ़ाना जरूरी है.

सूत्रों के अनुसार इस बैठक में भाग लेने वालों ने सरकार से निर्यात बढ़ाने और निवेशकों का विश्वास बढ़ाने वाली नीतियों को अपनाने का आग्रह किया. उनका कहना था कि विभिन्न क्षेत्रों में कई तरह के ढांचागत सुधारों के बावजूद बड़ी मात्रा में निवेश नहीं आ पाया है. बैठक में उपस्थित एक सूत्र ने कहा, ‘‘निवेशकों का विश्वास बढ़ाने की जरूरत है. सरकार को हर चीज (अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालतों के फैसलों जैसे) को चुनौती देने से बचना चाहिये. यह काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि कई तरह के सुधार उपाय किये जाने के बावजूद निवेशक अभी भी भारत में निवेश करने से हिचकते हैं. ’’ यह भी पढ़ें : एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने कहा: उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में हैं सबसे अधिक रेहड़ी पटरी वाले

बैठक में उपस्थित वक्ताओं ने देश की जीडीपी (GDP) के समक्ष कर के औसत को को बढ़ाये जाने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि यह औसत 2008 से कम हो रहा है. सरकार को आयात शुल्क को तर्कसंगत बनाने और बैंकों के पुनिर्पूंजीकरण पर ध्यान देना चाहिये. कुछ वक्ताओं ने जरूरत पड़ने पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण और संपत्तियों की बिक्री के लिये अलग मंत्रालय बनाने का भी सुझाव दिया. बैठक में अरविंद पनगढ़िया, के वी कामत, राकेश मोहन, शंकर आचार्य, शेखर शाह, अरविंद विरमानी और अशोक लाहिड़ी जैसे प्रमुख अर्थशास्त्रियों के साथ ही अन्य लोग भी शामिल थे. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, योजना राज्यमंत्री इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और नीति आयोग के सीईओ अमिताथ कांत भी बैठक में उपस्थित थे. यह भी पढ़ें : अर्थशास्त्रियों ने कहा, रिवर्स रेपो दर में कटौती अच्छा कदम, बैंक जोखिम उठाने में सक्षम हों

यह बैठक एक फरवरी को पेश होने वाले 2021- 22 के आम बजट से पहले हो रही है. इस लिहाज से यह काफी महत्वपूर्ण बैठक है. इसमें दिये गये सुझावों को आगामी बजट में शामिल किया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि कुछ अर्थशास्त्रियों ने निर्यात प्रोत्साहनों पर ध्यान देने का सुझाव दिया. उनका कहना था कि घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये यह जरूरी है. ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिये ठोस कदम उठाये जाने पर जोर दिया. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के बृहस्पतिवार को जारी अनुमान के मुताबिक मार्च में समाप्त होने जा रहे चाले वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीउीपी) में 7.7 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान है. कोविड- 19 (COVID-19) महामारी के कारण विनिर्माण और सेवा क्षेत्र पर बुरा असर पड़ा है.

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