VIDEO: महाकुंभ 2025! पाकिस्तान की आबादी से दोगुना श्रद्धालु, IPL से 10 गुना ज्यादा कमाई, राम मंदिर से 3 गुना ज्यादा खर्च, देखें हैरान चौंकाने वाले आंकड़े
महाकुंभ 2025 में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जो पाकिस्तान की आबादी से भी दोगुना है. इसका आयोजन 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में होगा, और इस पर ₹6282 करोड़ खर्च किए जाएंगे, जो राम मंदिर के बजट से तीन गुना ज्यादा है. महाकुंभ की कमाई IPL से 10 गुना ज्यादा होने का अनुमान है, और यहां लाखों पब्लिक टॉयलेट्स जैसी विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं.
Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक विशाल धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होने जा रहा है, जिसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हो रही है और यह 26 फरवरी 2025 तक चलेगा. इस महाकुंभ को विश्व का सबसे बड़ा मानवीय समागम माना जाता है जहां लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए एकत्र होंगे.
महाकुंभ की भीड़: आंकड़ों में भव्यता
महाकुंभ में आने वाली भीड़ के आंकड़े वाकई चौंकाने वाले हैं. इस बार 2025 में 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया गया है, जो पाकिस्तान की आबादी के लगभग दोगुना है और यह संख्या दुनिया की कुल आबादी के 5% के बराबर है.
यहां देखें वीडियो
- प्रयागराज कुंभ 2013: 12 करोड़
- नासिक कुंभ 2015: 75 लाख
- उज्जैन कुंभ 2016: 7.5 करोड़
- प्रयागराज कुंभ 2019: 24 करोड़
- प्रयागराज कुंभ 2025: 40 करोड़ (अनुमानित)
- कुंभ की कमाई: IPL से 10 गुना ज्यादा
महाकुंभ न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है.
- कुंभ 2019 की कमाई: ₹1,20,000 करोड़
- IPL 2023 की कमाई: ₹12,000 करोड़
- तिरुपति मंदिर 2023 की कमाई: ₹4,400 करोड़
- बुर्ज खलीफा 2023 की कमाई: ₹6,000 करोड़
यह स्पष्ट है कि कुंभ से होने वाली कमाई इन सभी प्रतिष्ठित संस्थानों और आयोजनों से कई गुना अधिक है. महाकुंभ 2025 का आयोजन 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जा रहा है. इतने बड़े क्षेत्र में 160 नरेंद्र मोदी स्टेडियम बनाए जा सकते हैं. इस आयोजन पर ₹6282 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं, जो राम मंदिर के बजट से तीन गुना ज्यादा है. महाकुंभ की भव्यता का अंदाजा यहां की व्यवस्थाओं से लगाया जा सकता है.
पब्लिक टॉयलेट्स: इस बार डेढ़ लाख पब्लिक टॉयलेट्स लगाए गए हैं, जो अमेरिका की तुलना में 300 गुना ज्यादा हैं.
अनाज की खपत: रोजाना चावल की खपत स्वर्ण मंदिर के लंगर से 110 गुना अधिक है.
क्यों है महाकुंभ खास?
महाकुंभ न केवल आस्था और अध्यात्म का केंद्र है, बल्कि यह भारत की व्यवस्थागत शक्ति, आर्थिक क्षमता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी है. यह आयोजन दुनिया के सबसे बड़े मेले के रूप में पहचाना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, कला और विरासत का अनुभव करते हैं.
महाकुंभ 2025 एक ऐसा आयोजन होगा जो न केवल भारत की आस्था और सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करेगा, बल्कि दुनिया के सामने भारतीय व्यवस्थाओं और आर्थिक शक्ति का भी प्रदर्शन करेगा. यह आयोजन न केवल भारत बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा.