जेएनयू हिंसा: दिल्ली पुलिस ने 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' नामक WhatsApp ग्रुप से की 37 लोगों की पहचान

पुलिस सूत्रों के मुताबिक 60 लोगों के एक वॉट्सऐप ग्रुप से इन लोगों की पहचान की गई है. 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' नाम के एक वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल इन लोगों का हिंसा में हाथ माना जा रहा है.

जेएनयू हिंसा की तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

नई दिल्ली: जेएनयू हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (SIT) ने 37 लोगों की पहचान की है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक 60 लोगों के एक वॉट्सऐप ग्रुप से इन लोगों की पहचान की गई है. 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' नाम के एक वॉट्सऐप ग्रुप में शामिल इन लोगों का हिंसा में हाथ माना जा रहा है. इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस कर जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में 9 लोगों के नाम बताए थे. दिल्ली पुलिस ने वीडियो के आधार पर 9 छात्रों की तस्वीर जारी की है, जिनमें जेएनएसयू छात्र संघ अध्यक्ष आईशी घोष भी शामिल हैं. इसके अलावा चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, योगेंद्र भारद्वाज, प्रिया रंजन, विकास पटेल की पहचान हुई है. पुलिस ने अभी किसी को गिरफ्तार नहीं किया है. नोटिस भेजकर सभी से जबाव मांगा है.

दिल्ली पुलिस ने बताया जेएनयू हिंसा मामले में कुल तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं. पहला केस सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाने का, दूसरा केस रजिस्ट्रेशन करवाने वाले छात्रों के साथ मारपीट करने का और तीसरा केस हॉस्टल में घुसकर हमला करने का है. पुलिस ने यह भी कहा कि जेएनयू हिंसा की शुरुआत एक जनवरी से ही हो गई थी. इसके बाद विवाद लगातार बढ़ता गया और पांच जनवरी को पेरियार व साबरमती हॉस्टल के कुछ कमरों में हमला किया गया.

37 लोगों की पहचान-

बता दें कि रविवार रात 5 जनवरी को जेएनयू में नकाबपोश हमलावरों ने छात्रों पर हमला किया था. इसमें जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष समेत कई छात्र बुरी तरह घायल हो गए थे. इस हमले में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष को गंभीर चोट आई थी. नकाबपोश हमलावरों ने रॉड और डंडों से छात्रों पर हमले किए.

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पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस में क्या कहा

पुलिस ने बताया 5 जनवरी की सुबह 11 बजे छात्रों के बीच मारपीट की शुरुआत हुई. हमलावरों को पता था कि किस कमरे में जाना है. पुलिस ने बताया विवाद की शुरुआत रजिस्ट्रेशन को लेकर हुई. कई छात्र रजिस्ट्रेशन करा रहे थे, लेकिन 4 छात्र संगठन AISF, AISA, SFI और DSF इसके विरोध में थे. रजिस्ट्रेशन सिस्टम को रोकने के लिए जबरदस्ती सर्वर रूम में घुसे और कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया. इसके बाद सर्वर को बंद कर दिया. इसके बाद सर्वर को किसी तरह ठीक किया गया.

पुलिस ने बताया इन लोगों की ही 3 जनवरी को सर्वर बंद करने से लेकर 5 जनवरी को मारपीट करने तक में मुख्य भूमिका थी. पुलिस की प्रेस कांफ्रेंस के बाद JNSU की अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा, दिल्ली पुलिस अपनी जांच कर सकती है. मेरे पास भी सबूत है. मुझ पर किसने हमला किया. आईशी घोष ने कहा, हमने मांग की कि जेएनयू के वीसी को तत्काल उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि वह यूनिवर्सिटी नहीं चला पा रहे हैं. हमें एक वीसी की जरूरत है जो नए सिरे से मदद कर सके.

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