दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल जाँच मामले में शिबू सोरेन की अपील याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
लोकपाल द्वारा झामुमो संरक्षक शिबू सोरेन के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई में हस्तक्षेप से इनकार करने के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ उनकी अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया.
नई दिल्ली, 20 फरवरी : लोकपाल द्वारा झामुमो संरक्षक शिबू सोरेन के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई में हस्तक्षेप से इनकार करने के एकल पीठ के फैसले के खिलाफ उनकी अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत के आधार पर लोकपाल ने कार्रवाई शुरू की है.
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने 22 जनवरी को लोकपाल कार्रवाई को चुनौती देने वाली शिबू सोरेन की याचिका और शिकायत को अपरिपक्व मानते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था. अदालत ने यह तय करने में लोकपाल की स्वतंत्रता पर जोर दिया था कि जांच को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सामग्री है या नहीं. न्यायमूर्ति रेखा पल्ली और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने अपील याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि फैसला मंगलवार या बुधवार का अपलोड किया जाएगा. यह भी पढ़ें : उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पर जम्मू में देश की सबसे लंबी रेलवे सुरंग शुरू
इससे पहले, न्यायमूर्ति प्रसाद ने सोरेन के वकील के तर्क को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि पूरी शिकायत राजनीति से प्रेरित थी. अगस्त 2020 की शिकायत में, निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों ने सरकारी खजाने का दुरुपयोग करके भारी धन और संपत्ति अर्जित की और भ्रष्टाचार में लिप्त रहे. अदालत ने लोकपाल की स्वायत्तता की पुष्टि करते हुए कहा था कि राजनीतिक प्रभाव के आरोपों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. लोकपाल स्वतंत्र रूप से मामले की जांच करेगा ताकि यह तय किया जा सके कि जांच की आवश्यकता है या नहीं.
हाईकोर्ट ने पहले सितंबर 2022 में लोकपाल की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी. लोकपाल ने कहा था कि सोरेन की याचिका गलत थी और मौलिक अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं हुआ था. प्रारंभिक जांच का बचाव करते हुए उसने कहा था कि शिकायत में उल्लिखित तथ्यों का पता लगाने के लिए यह उचित कार्रवाई थी.