Delhi High Court On Abortion: दिल्ली HC ने 23 सप्ताह के गर्भवती महिला को नहीं दी गर्भपात की इजाजत, कहा- गोद दे सकती हैं बच्चा, गुप्त रहेगी पहचान
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 25 वर्षीय अविवाहित महिला को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है, जो अपने 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करना चाहती थी.
Delhi High Court On Abortion: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 25 वर्षीय अविवाहित महिला को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है, जो अपने 23 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करना चाहती थी. Kolkata Shocker: कोलकाता में युवती से दुष्कर्म, पुलिस ने पीड़िता को मामला दर्ज ना कराने के लिए एक हजार रुपये की पेशकश की
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने मामले पर कई मौखिक टिप्पणियां कीं और याचिकाकर्ता के वकील से बच्चे को जन्म देने और उसके बाद किसी को गोद देने की अनुमति देने की संभावना के बारे में पूछा. पीठ ने कहा, "बच्चे को किसी को गोद दे दीजिए. आप बच्चे को क्यों मार रहे हैं? बच्चे को गोद लेने के लिए एक बड़ी कतार है."
पीठ ने यह भी सुनिश्चित किया कि महिला की पहचान गुप्त रहेगी और वह सुरक्षित कस्टडी में रहेंगी. मुख्य न्यायाधीश ने यह भी टिप्पणी की, "हम उन्हें बच्चे को पालने के लिए मजबूर नहीं कर रहे हैं.. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि वह एक अच्छे अस्पताल में जाए.. उनका ठिकाना पता नहीं चलेगा. आप जन्म दें और वापस आ जाएं.. अगर सरकार भुगतान नहीं करती है, मैं भुगतान करने के लिए तैयार हूं."
कोर्ट में बहस कर रहे महिला के वकील ने तर्क दिया कि सामाजिक कलंक के साथ मानसिक और वित्तीय बाधाओं ने उसे गर्भावस्था को एक उन्नत चरण में समाप्त करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर किया.
अदालत ने टिप्पणी की कि जब महिला 24 सप्ताह तक बच्चे को गोद में लिए है तो उसे और चार सप्ताह तक ले जाने में क्या दिक्कत हो सकती है. महिला के वकील ने तर्क दिया कि अविवाहित महिलाओं के मामलों के लिए 20 सप्ताह के बाद गर्भपात कानून के तहत गर्भपात तलाकशुदा महिलाओं और कुछ अन्य श्रेणियों की महिलाओं को 24 सप्ताह तक की राहत उपलब्ध होने के मद्देनजर भेदभावपूर्ण है.