बिहार विधानसभा चुनाव में भी दिखेगा दिल्ली के नतीजे का असर, बीजेपी की बढ़ेगी टेंशन?

दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर आए नतीजों/रुझानों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है. जहां एक ओर बीजेपी तमाम सियासी दांव पेंच लगाने के बाद भी दिल्ली में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को एक सीट भी मिलना मुश्किल हो गया है.

अमित शाह, नीतीश कुमार और चिराग पासवान (Photo Credits: IANS)

Delhi Assembly Election Results 2019: दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर आए नतीजों/रुझानों में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की आम आदमी पार्टी (आप) को प्रचंड बहुमत मिलता दिख रहा है. जहां एक ओर बीजेपी तमाम सियासी दांव पेंच लगाने के बाद भी दिल्ली में कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सकी है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को एक सीट भी मिलना मुश्किल हो गया है. पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे का असर साल के खत्म होने से पहले होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में भी दिखेगा.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की शानदार जीत के रुझानों को देखते हुए पार्टी कार्यालय के बाहर जमा कार्यकर्ताओं और समर्थकों का उत्साह देखते ही बन रहा है. उधर, बीजेपी और कांग्रेस ने जनादेश स्वीकार करते हुए आप को जीत की बधाई दी है. हालांकि खबर लिखे जाने तक वोटों की गिनती चल रही है. बहरहाल, अब तक सामने आए नतीजों/रुझानों में आप के मुकाबले बीजेपी की कमजोर रणनीति झलक रही है. दिल्ली में बीजेपी के हाथ में सत्ता नहीं आने का असर बिहार की सियासत में भी पड़ने वाला है. Delhi Assembly Elections 2020 Results: अमानतुल्लाह खान का बड़ा बयान- दिल्ली की जनता ने BJP-अमित शाह को करंट लगाने का काम किया

बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. यहां अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के नेतृत्व में एनडीए की सरकार है जिसमें जेडीयू, बीजेपी और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) शामिल हैं. दिल्ली में भी बीजेपी नीतीश की पार्टी जेडीयू और एलजेपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी थी. ऐसे में दिल्ली में बीजेपी की हार से यह स्पष्ट है कि बिहार में उसकी सहयोगी पार्टियां जेडीयू और एलजेपी अधिक सीट के लिए दबाव बनाएगी. इस वजह से सीट बंटवारे का समीकरण बदल सकता है और जिसकी वजह से खींचतान होना तय है. सबसे खास बात यह है कि जेडीयू बिहार में फिर से बड़े भाई की भूमिका में नजर आ सकती है.

उल्लेखनीय है कि पिछले दो साल में बीजेपी का प्रदर्शन ख़राब हुआ है. दिल्ली के साथ ही बीजेपी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) इस अवधि में छह राज्यों में सत्ता गंवा चुका है. दिल्ली समेत 12 राज्यों में अभी भी बीजेपी विरोधी दलों की सरकारें हैं. राजग की 16 राज्यों में ही सरकार है. कांग्रेस खुद के बूते या गठबंधन के जरिए महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, पुडुचेरी में सत्ता में है. जबकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, केरल में माकपा के नेतृत्व वाला गठबंधन, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस, ओडिशा में बीजद और तेलंगाना में टीआरएस सत्ता में है. एक और राज्य तमिलनाडु है, जहां बीजेपी ने अन्नाद्रमुक के साथ लोकसभा चुनाव तो लड़ा था, लेकिन राज्य में उसका एक भी विधायक नहीं है. इसलिए वह सत्ता में भागीदार नहीं है. दिसंबर, 2017 में एनडीए बेहतर स्थिति में था. एनडीए और उसके सहयोगी दलों के पास 19 राज्य थे. एक साल बाद बीजेपी ने तीन बड़े राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवा दी. यहां अब कांग्रेस की सरकारें हैं.

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