नई दिल्ली, 29 दिसंबर: दिल्ली (Delhi) में अभी अगले कुछ और महीने स्कूल खुलने के आसार नहीं हैं. इसी के चलते अब दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 8 लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के तहत सूखा राशन देगी. जब तक स्कूल फिर से नहीं खुल जाते, तब तक यह योजना जारी रहेगी. फिलहाल 6 महीने तक बच्चों को इस प्रकार का सूखा राशन दिया जाएगा. सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने मंगलवार को मंडावली में स्कूली बच्चों को सूखे राशन की किट बांटकर इसकी शुरुआत की. इस दौरान केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली सरकार के स्कूलों में आज भी वही शिक्षक और बच्चे हैं, लेकिन माहौल बदल गया है. अब हमारे बच्चों के आईआईटी और मेडिकल में एडमिशन हो रहे हैं. दुनियाभर के लोग दिल्ली के स्कूल देखने आते हैं. यह दिल्ली वालों के लिए गर्व की बात है. कोरोना काल में भी हमारे स्कूलों के 94 प्रतिशत बच्चे अभी भी ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं."
मुख्यमंत्री ने कहा, "मंडावली (Mandaavali) का सरकारी स्कूल बहुत ही शानदार है. पूरे देशभर में इस तरह के सरकारी स्कूल देखने को नहीं मिलते हैं. पहले स्कूलों की दशा काफी खराब होती थी. स्कूल टूटे-फूटे होते थे, टूटी-फूटी दीवारें होती थीं. लेकिन अब माहौल बदल गया है. वही अध्यापक आज कमाल करके दिखा रहे हैं. हमारे बच्चों के आईआईटी, डॉक्टरी, वकालत में दाखिले हो रहे हैं. ये स्कूल दिल्ली के लोगों के लिए बड़े गर्व और शान की बात बनते जा रहे हैं."यह भी पढ़े; खासने की आवाज निकालकर CM अरविन्द केजरीवाल के भाषण में बाधा पहुचाने की कोशिश.
सीएम केजरीवाल ने कहा कि पिछले 9 महीने में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हुई है. बच्चे कमरे में बंद होकर नहीं रह सकते, बच्चों के अंदर ऊर्जा होती है. बच्चे इधर उधर उछल-कूद करना चाहते हैं. स्कूल जाना चाहते हैं और खेल कूद करना चाहते हैं, लेकिन सब चीजें बंद करनी पड़ीं. हमारे 94 प्रतिशत बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं अभी भी चल रही हैं.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हमने पहले कोशिश की कि मिड डे मील का जो पैसा बनता है, वह अभिभावकों के खाते में डाल दिया जाए, ताकि बच्चों को अच्छा भोजन मिलता रहे. फिर कई अभिभावकों ने कहा कि पैसा तो देते हैं, लेकिन कहीं भी खर्च हो जाता है. इसकी जगह अगर सीधे राशन दे दिया जाए, तो अच्छा रहेगा. ऐसे में राशन देने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. हर बच्चे के मुताबिक, जितना राशन बनता है, उतना 6 महीने का राशन हर परिवार को दे दिया जाएगा. बच्चों के पौष्टिक आहार में किसी भी प्रकार की कमी नहीं आनी चाहिए."