रक्षा मंत्री Rajnath Singh का बड़ा बयान, कहा- सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर भारत रक्षा तकनीकों के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता
रक्षा मंत्री ने देश में आयात पर निर्भरता को कम करने करने के सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि इस दिशा में 200 से अधिक वस्तुओं को बनाने के लिए दो सकारात्मक स्वदेशी सूची के बारे में अधिसूचना जारी की गई है. इस एक सूची में वस्तुओं की संख्या इस दशक के अंत तक एक हजार के आंकडे को पार कर जाएगी और यही हमारे "75 से परे भारत"का द्वष्ट्रिकोण है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा है कि अपने विशिष्ट आकार, भौगोलिक स्थिति तथा सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर भारत रक्षा तकनीकों (India Defense Technologies) पर अन्य देशों पर निर्भर नहीं रह सकता है और उसे इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है. राजनाथ सिंह ने यहां भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ(FICCI) की 94वीं वार्षिक आम सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही. इसकी थीम 'इंड़िया बियॉंड 75' (India Beyond 75) थी और इसमें उन्होंने देश को आने वाले वर्षों में वैश्विक तौर पर रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में हब बनाने के सरकार के द्वष्ट्रिकोण का समर्थन किया. रक्षा मंत्री Rajnath Singh का बड़ा बयान, कहा- भारत ने पाकिस्तान के साथ प्रत्यक्ष युद्ध जीते हैं और परोक्ष युद्ध भी जीतेंगे
उन्होंने कहा कि इस समय सारा ध्यान देश की सेनाओं के आधुनिकीकरण तथा देश के रक्षा उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने पर है जो हमें पारंपरिक , गैर पारंपरिक ,मौजूदा तथा भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएगा.
रक्षा मंत्री ने कहा भारत तथा इसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए यह जरूरी है कि हम अपनी रक्षा क्षमता और सामथ्र्य को इतना विकसित कर लें कि व्श्वि के सबसे शक्तिशाली देश को हमारे हितों को नुकसान पहुंचाने संबंधी योजनाओं को क्रियान्वित करने से पहले एक हजार बार सोचना पड़े. हमारी सरकार का लक्ष्य किसी पर हमला करना नहीं है लेकिन देश की सेनाओं को इतना तैयार रखना है कि वे दुश्मन देशों को करारा जवाब दे सकें."
उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि हमें दोनों देशों से ही खतरे हैं क्योंकि एक तरफ तो वह देश है जिसका जन्म विभाजन से हुआ है और वह भारत की तरक्की से जलता है. दूसरी तरफ एक अन्य देश है जो नित नई योजनाएं बनाता रहता है.
रक्षा मंत्री ने हाल ही में अमेरिका,रूस और फ्रांस के रक्षा मंत्रियों की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए कहा भारत के अनेक देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और हमें उन्हें बता दिया है कि हम देश में रक्षा उपकरण बनाना चाहते हैं क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हाल ही में रूस के साथ छह लाख ए के -203 रायफल बनाने का पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक का समझौता किया गया है और इसमें प्रत्येक देश को 'मेक इन इंड़िया, मेक फॉर इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड' के लिए आमंत्रित किया गया है.
उन्होंने देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि इसे ऑटोमेटिक रूट से बढ़ाकर 74 प्रतिशत और कुछ विशेष स्थितियों में सरकार के जरिए 100 प्रतिशत कर दिया गया है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से देश में हथियार निर्माण के क्षेत्र में एक बेहतर माहौल तैयार होगा और इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना आसान हो सकेगा.
रक्षा मंत्री ने देश में आयात पर निर्भरता को कम करने करने के सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि इस दिशा में 200 से अधिक वस्तुओं को बनाने के लिए दो सकारात्मक स्वदेशी सूची के बारे में अधिसूचना जारी की गई है. इस एक सूची में वस्तुओं की संख्या इस दशक के अंत तक एक हजार के आंकडे को पार कर जाएगी और यही हमारे "75 से परे भारत"का द्वष्ट्रिकोण है.
उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से नीतियों में सुधार के कारण ही देश का रक्षा क्षेत्र कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने में सक्षम था और निजी क्षेत्र को भी इन नीतियों का फायदा उठाकर देश निमाण में सहयोग करना चाहिए.
रक्षा मंत्री ने कहा कि आर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड को निगमित करने का फैसला इस क्षेत्र में सरकारी तथा निजी कंपनियों के बीच बेहतर प्रतिस्पर्धा को तैयार करना तथा सरकारी कंपनियों के बीच दक्षता लाना है. उन्होंने आत्मनिर्भरता के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में कार्यरत उद्योगों की सराहना भी की तथा डीआरडीओ से तकनीकी हस्तांतरण के बाद इकॉनामिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड को दिए गए 10 लाख मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड के आर्डर का भी जिक्र किया. इनकी पहली खेप भारतीय सेना को पहले ही उपलब्ध करा दी गई है.