Karnataka Election Result 2023: टूट गया शिरहट्टी का दशकों पुराना दस्तूर, जीती बीजेपी पर सरकार कांग्रेस की बनी
कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में इस बार सत्ता में क्रमिक बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा तो कायम रही लेकिन यहां के गडग जिले की शिरहट्टी विधानसभा में दशकों पुरानी वह परिपाटी टूट गयी जिसके तहत यहां की जनता जिस दल की जीत सुनिश्चित करती है, राज्य की सत्ता की बागडोर भी वही संभालता है.
नयी दिल्ली, 13 मई: कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में इस बार सत्ता में क्रमिक बदलाव की 38 साल पुरानी परंपरा तो कायम रही लेकिन यहां के गडग जिले की शिरहट्टी विधानसभा में दशकों पुरानी वह परिपाटी टूट गयी जिसके तहत यहां की जनता जिस दल की जीत सुनिश्चित करती है, राज्य की सत्ता की बागडोर भी वही संभालता है. Karnataka Election Result 2023: क्या येदियुरप्पा को साइड करना पड़ा बीजेपी को भारी? कर्नाटक में कहां रह गई कमी.
मध्य कर्नाटक के इस सीट की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि इस क्षेत्र के मतदाता ‘चुनावी मिजाज’ भांपने में निपुण माने जाते हैं. कर्नाटक के इससे पहले के (2023) 12 विधानसभा चुनावों के नतीजे तो यही बताते हैं. हालांकि इस बार स्थिति उलट गई.
अब तक आए चुनाव परिणमों के मुताबिक कांग्रेस 136 सीटों पर जीत दर्ज करने की ओर बढ़ रही है जबकि भाजपा 64 सीटों पर सिमटती दिख रही है. शिरहट्टी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चंद्रु लमानी ने जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और निर्दलीय उम्मीदवार रामकृष्ण शिंडलिंगप्पा डोड्डामणि को 28,520 मतों से पराजित किया. यहां से कांग्रेस की उम्मीदवार सुजाता निंगप्पा डोड्डामणि तीसरे स्थान पर रहीं. उन्हें 34,791 मत मिले.
रामकृष्ण शिंडलिंगप्पा पहले कांग्रेस में ही थे लेकिन इस बार चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था. इसलिए वह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने गए. उनके चुनाव मैदान में उतरने का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा और इससे भाजपा उम्मीदवार की जीत आसान हो गई. भाजपा के लमानी को 74,489 मत मिले जबकि रामकृष्ण शिंडलिंगप्पा को 45,969 मत मिले. दोनों की जीत हार का अंतर 28,520 मतों का रहा.
रामकृष्ण शिंडलिंगप्पा वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में शिरहट्टी से भाजपा के रामप्पा लमानी से 29,993 मतों से पराजित हो गए था. इस चुनाव में वह कांग्रेस के उम्मीदवार थे. इसके बाद राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा ने सरकार बनाई और कमान बी एस येदियुरप्पा के हाथों में गई. लेकिन आठ सीटें कम पड़ने की वजह से सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
इसके बाद कांग्रेस की सहायता से जनता दल (सेक्युलर) के एच डी कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने. लेकिन कांग्रेस के कुछ विधायकों के पाला बदलने के कारण 14 महीने के भीतर ही कुमारस्वामी की सरकार भी गिर गई. कई दिनों तक खिंचे नाटकीय घटनाक्रम के बाद येदियुरप्पा चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने.
इससे पहले, 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार ने शिरहट्टी से जीत दर्ज की और राज्य में सिद्धरमैया के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी. इसी प्रकार 2008 में भाजपा और 2004 में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकारें बनीं तो शिरहट्टी में भी सत्ताधारी दलों के विधायकों को सफलता मिली.
वर्ष 1972 से लेकर 1999 तक हुए चुनावों में भी यही स्थिति बनी रही. शिरहट्टी से जीत दर्ज करने वाली पार्टी ही राज्य में सरकार बनाती रही.
वर्ष 1999 में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की तो कांग्रेस के नेता एस एम कृष्णा राज्य के मुख्यमंत्री बने. इसके पहले, 1994 के चुनाव में जनता दल के एच डी देवेगौड़ा मुख्यमंत्री बने तो उनकी पार्टी के ही उम्मीदवार जी एम महंतशेट्टार ने यहां से जीत हासिल की.
वर्ष 1989 में कांग्रेस के शंकर गौड़ा पाटिल ने शिरहट्टी से विधानसभा चुनाव जीता और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी के उम्मीदवार ने यहां से जीत दर्ज की तो राज्य में सरकार भी जनता पार्टी की ही बनी. रामकृष्ण हेगड़े इस सरकार के मुखिया बने.
इसके पहले हुए 1983 के विधानसभा चुनाव में पहली बार इस सीट से किसी निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की. कांग्रेस के तत्कालीन विधायक यू जी फकीरप्पा को टिकट नहीं मिला तो वह बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में उतर गए. उन्होंने जीत भी दर्ज की. राज्य में विधानसभा त्रिशंकु बनी. कांग्रेस को 82 सीटों पर तो जनता पार्टी को 95 सीटों पर जीत मिली.
फकीरप्पा ने जनता पार्टी का समर्थन कर दिया. सरकार भी जनता पार्टी की बनी और पहली बार हेगड़े राज्य के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, आजादी के बाद अब तक हुए कुल 15 चुनावों में से यह तीसरी बार है जब शिरहट्टी में जीत किसी एक दल के उम्मीदवार की हुई और सरकार किसी दूसरे दल की बनी. दो चुनाव उस दौर में हुए जब कर्नाटक, मैसूर राज्य कहलाता था.
साल 1973 में पुनर्नामकरण करके इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया था. साल 1957 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में शिरहट्टी से कांग्रेस की जीत हुई और राज्य में सरकार भी उसकी ही बनी. हालांकि अगले दो लगातार चुनावों में यह क्रम जारी नहीं रहा. वर्ष 1962 और 1967 के विधानसभा चुनावों में यहां से स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की लेकिन सरकार कांग्रेस की ही बनी.
इसके बाद से अब तक हुए राज्य विधानसभा के चुनावों में हर बार यहां से जीत दर्ज करने वाली पार्टी की राज्य में सरकार बनी. हालांकि इस बार यह परिपाटी टूट गयी.
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