Bharat Bandh: दलितों और आदिवासियों ने किया 5 मार्च को भारत बंद का ऐलान, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के विरोध में करेंगे आंदोलन

भारत के कई राज्यों के दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों ने आगामी 5 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया है. जानकारी के मुताबिक, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में आदिवासी शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन का नेतृत्व करेंगे.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: @luisdelrio/unsplash.com)

Bharat Bandh: भारत के कई राज्यों के दलित (Dalits) और आदिवासी (Tribals) समुदाय के लोगों ने आगामी 5 मार्च को भारत बंद (Bharat Bandh) का ऐलान किया है. जानकारी के मुताबिक, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में आदिवासी शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन का नेतृत्व करेंगे. इन लोगों ने 10 लाख से अधिक स्थानीय लोगों को बेदखल किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बंद की घोषणा की है. बता दें कि इन लोगों ने अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) और अन्य पारंपरिक वन निवासी (Traditional Forest Dwellers) वन अधिकारों की मान्यता (Recognition of Forest Rights) अधिनियम के तहत अपने भूमि अधिकारों का दावा किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.

दरअसल, 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 16 भारतीय राज्यों में वन भूमि से 10 लाख से ज्यादा आदिवासियों और अन्य पारंपरिक वन वासियों को वन भूमि अधिकारों से बेदखल करने का आदेश दिया था. वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) के बचाव में केंद्र सरकार के असफल होने के बाद यह कदम उठाया गया. इस बाबत लिखित आदेश 20 फरवरी को जारी किया गया था.

10 लाख आदिवासी हो जाएंगे बेघर

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई राज्यों से 10 लाख से भी अधिक आदिवासी अपने घरों से बेघर हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश तब सुनाया जब उसने वन अधिकार अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई की. दरअसल, वन्यजीव कार्यकर्ताओं के एक समूह ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि पारंपरिक वन भूमि पर जिनके दावे खारिज किए गए हैं, उन्हें राज्य सरकारों द्वारा भी खारिज कर दिया जाना चाहिए.

रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र के वकील इस मामले की सुनवाई के दौरान अनुपस्थित थे, जिसके चलते तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यह आदेश दिया और आदिवासियों को बाहर निकालने के लिए राज्यों को 27 जुलाई तक का समय दिया है.

बता दें कि 27 फरवरी को केंद्र ने कोर्ट में याचिका दायर करके 13 फरवरी को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संशोधित करने के लिए लगभग 1.89 मिलियन आदिवासियों और वन स्थानीय निवासियों के निष्काशन को अस्थायी तौर पर रोक दिया है. केंद्र ने तीन न्यायाधीशों वाली पीठ से राज्यों को वन अधिकार अधिनियन (Forest Rights Act) के कार्यान्वयन पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए समय देने को कहा है. यह भी पढ़ें: मध्यप्रदेश: कांग्रेस विधायक ने नया राज्य 'भीलिस्तान' बनाने की मांग की, BJP ने साधा निशाना

भारत बंद का ऐलान क्यों?

देश की सर्वोच्च अदालत में दलितों और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने में विफल होने के कारण इन लोगों में मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा है. इन आदिवासियों की मांग है कि केंद्र को उनके अधिकारों की रक्षा के लिए तुरंत एक अध्यादेश लाना चाहिए. दलित और आदिवासी कार्यकर्ता अशोक भारती ने बंद का समर्थन करते हुए कहा कि उनका बंद तभी थमेगा जब वन निर्भर समुदायों की मांगे पूरी की जाएंगी.

अपनी आवाज को केंद्र तक पहुंचाने और आंदोलन का समर्थन करने के लिए आदिवासी बहुल राज्यों में स्थानीय स्तर पर बंद का आह्वान किया गया है. भारत बंद के इस मैसेज को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक फैलाने के लिए ट्विटर, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया था. गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर देशभर के दलित और आदिवासी समुदाय के लोग 5 मार्च को सड़कों पर उतरेंगे.

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