गती, निसर्ग, अम्फान! जानिए कैसे रखे जाते हैं चक्रवात के नाम, भारत ने कौन-कौन से दिए हैं नाम
दुनिया के भयावह तूफानों व चक्रवातों की बात आते ही ज़हन में कैटरीना, अम्फान, नरगिस, फानी, वायु, आदि के नाम आते हैं. हाल ही में भारत में अम्फान आया और उसी के तुरंत बाद निसर्ग. इससे पहले भी कभी तितली, कभी फानी जैसे कई तूफान आए.
दुनिया के भयावह तूफानों व चक्रवातों की बात आते ही ज़हन में कैटरीना, अम्फान, नरगिस, फानी, वायु, आदि के नाम आते हैं. हाल ही में भारत में अम्फान आया और उसी के तुरंत बाद निसर्ग. इससे पहले भी कभी तितली, कभी फानी जैसे कई तूफान आए. क्या आपको पता है, कि भारत में आने वाले अगले तूफान का क्या नाम होगा? या अगले पांच साल बाद जो चक्रवात आयेगा, उसका नाम क्या होगा? सोच में मत पड़े, हर चक्रवात या तूफान के आने से पहले ही उनके नाम रख दिये जाते हैं. अब निसर्ग को ही ले लीजिए, यह नाम बांग्लादेश ने दिया है. आइए जानते हैं किसी तूफान के आने से पहले उसका नाम कैसे रखा जाता है और कौन उनके नाम रखता है.
कब हुई चक्रवात के नामकरण की शुरुआत:
दरअसल दुनिया भर में हर साल महासागरों में बनने वाले चक्रवातों का नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMC) और उष्णकटीबंधिय साइक्लोन वार्निंग सेंटर (TCWCs) द्वारा दिया जाता है. भारतीय मौसम विभाग को मिलाकर दुनिया भर में छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र हैं. जबकि पांच उष्णकटीबंधिय साइक्लोन वार्निंग सेंटर हैं.
यह भी पढ़ें- ‘निसर्ग’ के बाद आने वाले अगले चक्रवाती तूफान का नाम होगा ‘गति’, ऐसे मिला यह नाम
एक RSMC के रूप में, भारतीय मौसम विभाग एक मानक प्रक्रिया का पालन करने के बाद बंगाल और अरब सागर की खाड़ी सहित उत्तर हिंद महासागर में विकसित होने वाले चक्रवातों का नाम देता है. आईएमडी को चक्रवातों और तूफानों के बारे में क्षेत्र के 12 अन्य देशों को सलाह लेना भी अनिवार्य है. इस लिहाज से भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हाल ही में भविष्य के चक्रवातों के 169 नामों की सूची जारी की है, जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उभरेंगे.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला 2004 में शुरू हुआ था. दरअसल 2004 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी WMO, जो तूफानों का नाम रखती है, उसने सभी देशों से अपने-अपने क्षेत्र में आने वाले चक्रवात का नाम ख़ुद रखने को कहा. जिसके बाद भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड देशों ने मिलकर एक बैठक की. इन आठ देशों ने तब 64 नामों की एक सूची बनाई, जो हर देश ने आने वाले चक्रवात के लिए आठ नाम सुझाए थे. सुझावों में भेजे गए प्रत्येक नाम को चक्रवात विशेषज्ञों का एक पैनल ही अंतिम रूप देता है.
अम्फान का नाम थाइलैंड ने दिया:
संयोग से, इस बार कुछ ही दिन के अंतराल में दो तूफान आए। पहला तूफान ओडिशा और पश्चिम बंगाल में आया, जिसका नाम थाइलैंड ने दिया था, जो सूची का आखिरी नाम भी था. हांलाकि 2018 में पांच और देशों - ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन को शामिल किया गया है. जिसके बाद भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने हाल ही में भविष्य के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के 169 नामों की सूची जारी की है जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उभरेंगे. लेकिन अब मुबंई और गुजरात में तो तूफान आया तो नई सूची के अनुसार पहले नाम बांग्लादेश ने दिया है, जिसे निसर्ग कहा जा रहा है. अगले किसी तूफान का नाम भारत द्वारा दिए गए नाम पर होगा.
यह भी पढ़ें- हिंद महासागर में भविष्य में उठने वाले तूफानों का नाम ‘शाहीन’, ‘गुलाब’ और‘अग्नि’ होगा
भारत ने चक्रवात के ये नाम सुझाए:
नई सूची में भारत द्वारा सुझाई गई 13 नाम शामिल हैं: गती, तेज, मुरसु, आग, व्योम, झार (उच्चारित झोर), प्रोबाहो, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलधि और वेगा. वहीं इससे पहले भारत ने अग्नि, आकाश,बिजली, जल, लहर, मेघ , सागर , वायु नाम दे चुकी है.
चक्रवातों का नाम रखना जरूरी क्यों:
तूफान अपने आप में नाम है, लेकिन हर साल किसी-न किसी देश में तूपान आते रहते हैं. ऐसे में इससे निपटने, आने वाले समय के लिए तैयारी, या इसे याद रखने में आसानी के लिए नाम दिया जाने लगा. क्योंकि तूफान का नाम रखने से याद रखना आसान हो जाता है. आम जनता के अलावा, यह वैज्ञानिक समुदाय, मीडिया, आपदा प्रबंधकों आदि की भी मदद करता है. एक नाम के साथ चक्रवातों की पहचान करना, इसके विकास के बारे में जागरूकता पैदा करना, समुदाय की तैयारियों में तेजी से प्रचार-प्रसार करना और संदेह को दूर करने में मदद करना आसान है.
चक्रवातों के नाम अपनाने के लिए दिशा निर्देश हैं:
चक्रवातों के लिए नाम चुनते समय, कुछ नियम हैं, जिनका पालन आवश्यक होता है. अगर दिशा निर्देश के अनुरूप नाम दिए गए हैं तो ही उन्हें सूची में शामिल किया जाता है। वो नियम इस प्रकार हैं-
> प्रस्तावित नाम राजनीति और राजनीतिक हस्तियों, धार्मिक विश्वासों, संस्कृतियों और लिंग के प्रति पक्षपात पूर्ण नहीं होना चाहिए.
> नाम इस तरह से चुना जाना चाहिए कि यह दुनिया भर में आबादी के किसी भी समूह की भावनाओं को चोट न पहुंचाए.
> यह प्रकृति के लिहाज से बहुत क्रूर नहीं होना चाहिए.
> छोटा होना चाहिए जिसका उच्चारण आसानी से हो सके और किसी भी सदस्य के लिए आक्रामक नहीं होना चाहिए.
> नाम की अधिकतम लंबाई आठ अक्षर होगी.
> नाम का प्रस्तावित इसके उच्चारण और आवाज के साथ प्रदान किया जाना चाहिए.
> उत्तर हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नामों को दोहराया नहीं जाएगा. एक बार उपयोग करने के बाद, यह फिर से उपयोग नहीं होगा. इस प्रकार एक नया नाम होना चाहिए.