नई दिल्ली : अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve System) के फैसले के बाद कच्चे तेल के दाम में गिरावट आई है. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार में कच्चे तेल के भाव में गुरुवार को एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. अंतर्राष्ट्रीय बाजार से मिले कमजोर संकेतों से घरेलू वायदा बाजार पर भी कच्चे तेल का भाव 4,000 रुपये प्रति बैरल के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे आ गया.
कच्चे तेल के दाम में नरमी आने से एक बार फिर पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि की संभावनाओं पर ब्रेक लग गया है. कमोडिटी बाजार विश्लेषकों के अनुसार, फेड के फैसले से निवेशकों का मनोबल टूटा है और अमेरिका-चीन व्यापारिक वार्ता बेनतीजा रहने से कच्चे तेल की मांग में सुस्ती रहने की संभावना बनी हुई है.
पूर्वाह्न् 11.23 बजे मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर कच्चे तेल के अगस्त अनुबंध में 33 रुपये यानी 0.82 फीसदी की कमजोरी के साथ 3,999 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 3,997 रुपये प्रति बैरल तक गिरा.
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इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर ब्रेंट क्रूड के अक्टूबर अनुबंध में गुरुवार को 1.11 फीसदी की गिरावट के साथ 64.33 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था. वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज यानी नायमैक्स पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट यानी डब्ल्यूटीआई 1.33 फीसदी की गिरावट के साथ 57.88 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था.
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (इनर्जी व करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने कहा, "जैसी उम्मीद की जा रही थी, उसी अनुरूप फेड ने बुधवार को ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की. मगर, फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने आगे ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं से इनकार किया है जिससे निवेशकों का मनोबल टूटा है."
उन्होंने कहा कि इससे पहले अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव दूर करने की दिशा में बुधवार को दोनों देशों के वातार्कारों के बीच हुई बातचीत से भी कोई ठोस नतीजा निकल कर नहीं आया. इसलिए अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार घटने के बावजूद तेल के दाम में नरमी का रुख बना हुआ है. अमेरिकी एजेंसी एनर्जी इन्फोरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन की बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार पिछले सप्ताह तकरीबन 85 लाख बैरल घट गया.