COVID-19: बच्चों और युवाओं पर कोरोना का कहर! कैसे बचाएं संक्रमण से इन्हें! जानें क्या कहते हैं Doctors
कोरोना संक्रमण की निरंतर बढ़ती रफ्तार ने पूरी दुनिया को दहशतजदा कर दिया है. आज स्थिति विस्फोटक इसलिए हो गयी है क्योंकि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बच्चों और युवाओं को भी अपनी जद में लेना शुरु कर दिया है.
COVID-19: कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की निरंतर बढ़ती रफ्तार ने पूरी दुनिया को दहशतजदा कर दिया है. आज स्थिति विस्फोटक इसलिए हो गयी है क्योंकि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बच्चों और युवाओं को भी अपनी जद में लेना शुरु कर दिया है. अस्पतालों में संक्रमित बच्चों एवं युवाओं की संख्या में लगातार बढ़ रही है. पिछले दिनों एक नवजात शिशु की मृत्यु ने स्वास्थ्य विभाग (Health Department) की नींद उड़ा दी है. दिल्ली एवं गुड़गांव के चिकित्सकों का मानना है कि बच्चों पर कोरोना का संक्रमण अच्छे संकेत नहीं हैं, क्योंकि इनसे संक्रमण का फैलाव अपेक्षाकृत तेज गति से हो सकता है. इस पर यथाशीघ्र नियंत्रण पाने की जरूरत है. इस संदर्भ में दिल्ली एवं गुड़गांव अस्पतालों के चिकित्सक क्या कहते हैं, आइये जानते हैं.
बच्चों में संक्रमण की वजह!
कोरोना की पहली लहर की तुलना में आज संक्रमितों की संख्या तीन गुनी रफ्तार से बढ़ रही है. ताजे आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में प्रत्येक 24 घंटे में ढाई लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं. इसमें बच्चे और युवा भी शामिल हैं. इस संदर्भ में म्योम अस्पताल गुड़गांव के फिजीशियन डॉ सुमित गुप्ता बताते हैं, -कोरोना की दूसरी लहर में नवजात शिशु से लेकर 18 वर्ष तक के युवा भी चपेट में हैं. दिल्ली एनसीआर के अलावा यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र में भी कोविड संक्रमित बच्चों की संख्या बढ़ रही है. इसकी वजह बताते हुए डॉ. गुप्ता कहते हैं, दरअसल जन्म के समय ही मां से कोरोना वायरस बच्चे में पहुंच जाते हैं. जिन माँ अथवा बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, उन्हें ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
क्या हैं लक्षण!
पिछले डेढ़ साल में कोरोना ने कई रंग बदले हैं. कभी लक्षणों के साथ तो कभी बिना किसी लक्षण के, इसने लोगों को संक्रमित किया है. यहां तक कि कोरोना संक्रमित लक्षणों में भी विभिन्न व्यक्ति में भिन्न-भिन्न देखा गया. आज जो बच्चे कोरोना संक्रमित आ रहे हैं, उनके लक्षण बड़ी उम्र के लोगों से काफी अलग है. बच्चों में इसकी शुरुआत उल्टी, दस्त और पेट दर्द जैसी शिकायतों से होती है. जरूरी नहीं कि बच्चों में भी सूंघने, निगलने एवं खाने में स्वाद नहीं आने जैसी शिकायतें हों ही, लेकिन हां अगर आपका बच्चा खाना खाने से जी चुरा रहा है, तो आप इसे हलके से नहीं लें. उसे तत्काल चिकित्सक को दिखाएं. वह कोरोना पॉजिटिव हो भी सकता है और नहीं भी.
छोटे बच्चों को कैसे बचाएं कोरोना से?
दिल्ली के डॉ. जीतेंद्र सिंह (Dr. Jeetendra Singh) बताते हैं कि आज के बच्चे बहुत समझदार हैं. जिन घरों में कोविड के गाइड लाइन्स फालो किये जाते हैं, वहां बच्चे भी बच्चे भी उन्हीं रास्तों पर चलते हैं. वे भी देखा-देखी मास्क लगाते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग पर नजर रखते हैं, बल्कि वे बड़ों को भी घर से बाहर जाने से रोकते हैं. 'पापा बाहर मत जाओ वहां कोरोना है', 'मास्क लगाकर जाओ', 'बाहर से आये हो तो हाथ अच्छी तरह धो लो' आदि आदि. बच्चों को अगर कोरोना संक्रमण से बचाना है तो उनके खाने-पीने पर विशेष ध्यान रखना होगा. उन्हें घर का बना पौष्टिक खाना खिलायें, जंक फूड या फास्ट फूड से उन्हें दूर रखें.' यह भी पढ़ें : Coronavirus Outbreak: पाकिस्तान ने भारत से आने वाले यात्रियों पर लगाया बैन, अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को दी यह हिदायत
बच्चों के लिए वैक्सीन?
बच्चों पर कोरोना संक्रमण की गाज गिरने के बाद प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की क्या तैयारी है?, डॉ सुमित गुप्ता बताते हैं, जैसा सुनने में आ रहा है कि अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना कंपनियों में 12 और इससे ज्यादा उम्र के बच्चों के वैक्सीन पर काम चल रहा है. बच्चों पर वैक्सीन के असर का परीक्षण और उनके प्रमाण मिलने के बाद हो सकता है कि उनके लिए भी वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरु हो जाये. हांलाकि कहा तो यह भी जा रहा है कि 18 साल से ज्यादा उम्र के संक्रमितों को यह वैक्सीन लगाने की इजाजत मिल चुकी है. अब ताजे हालात को देखते हुए शोधकर्ता इससे कम उम्र के बच्चों पर भी वैक्सीन की स्टडी कर रहे हैं, लेकिन उसमें अभी काफी वक्त है.
बच्चों से फैल सकता है कोरोना
अध्ययनों से पता चलता है कि संक्रमित बच्चों से कोरोना का व्यापक प्रसार हो सकता है. ज्यादातर बच्चों में कोरोना के लक्षण हलके होते हैं. इस वजह से उनके संक्रमण का तुरंत पता नहीं चला पाता, उन्हें कोविड वायरस का साइलेंट स्प्रेडर माना जा सकता है. इस समय जबकि कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं, विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में व्याप्त कोविड वायरस सुपर स्प्रेडर होकर वयस्कों को संक्रमित कर सकते हैं.