न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया
प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits ANI)

नयी दिल्ली, 26 अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने एक निलंबित आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तारी से संरक्षण देते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार बदलने पर राजद्रोह के मामले दायर करना एक ‘‘परेशान करने वाली प्रवृत्ति’’ है. अधिकारी के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दो आपराधिक मामले दर्ज कराए थे. यह भी पढे: Tokyo Olympic: नीरज चोपड़ा ने फाइनल से ठीक पहले पाकिस्तान के अरशद नदीम से मांगा था अपना जेवलिन, जल्दबाजी में करना पड़ा था थ्रो- Video

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने राज्य पुलिस को इन मामलों में अपने निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया है.  पीठ ने सिंह को जांच में एजेंसियों के साथ सहयोग करने के भी निर्देश दिए.पीठ ने कहा, ‘‘देश में यह बहुत परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और पुलिस विभाग भी इसके लिए जिम्मेदार है...जब कोई राजनीतिक पार्टी सत्ता में होती है तो पुलिस अधिकारी उस (सत्तारूढ़) पार्टी का पक्ष लेते हैं. फिर जब कोई दूसरी नयी पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है। इसे रोकने की आवश्यकता है. ’’

उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को चार हफ्तों के भीतर दो अलग-अलग याचिकाओं पर जवाब देने का भी निर्देश दिया और इस दौरान पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.निलंबित पुलिस अधिकारी की ओर से वरिष्ठ वकील एफ एस नरीमन और विकास सिंह पेश हुए और राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी तथा राकेश द्विवेदी पेश हुए.कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने सिंह के खिलाफ राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के संबंध में दो मामले दर्ज कराए.

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