Coronavirus Vaccine: सरकार ने लोगों तक वैक्सीन के वितरण पर बनायी रणनीति, टीका निर्माण क्षमता पर किया गया विचार विमर्श
दुनिया भर में कोरोना की 120 दवायें बन कर तैयार हो चुकी हैं, लेकिन फिलहाल सभी का ट्रायल चल रहा है. इसी बीच रूस ने कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा किया और पहली कोविड वैक्सीन के तौर पर रजिस्ट्रेशन भी कराने की बात कही. वहीं भारत में वैक्सीन को लेकर गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने वैक्सीन के वितरण पर रणनीति तैयार की है.
Coronavirus Vaccine: दुनिया भर में कोरोना की 120 दवायें बन कर तैयार हो चुकी हैं, लेकिन फिलहाल सभी का ट्रायल चल रहा है. इसी बीच रूस ने कोरोना (Coronavirus) की वैक्सीन बनाने का दावा किया और पहली कोविड वैक्सीन के तौर पर रजिस्ट्रेशन भी कराने की बात कही. वहीं भारत में वैक्सीन को लेकर गठित राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने वैक्सीन (Vaccine) के वितरण पर रणनीति तैयार की है. इसके तहत राज्यों को वैक्सीन की खरीद पर खुद फैसला लेने से मना किया गया है. कमेटी के फैसले का मतलब यह नहीं है कि वैक्सीन कुछ ही दिनों में आ जाएगी, विशेषज्ञों की मानें तो दुनिया की कोई भी वैक्सीन अपने तीसरे ट्रायल को पार नहीं कर पायी है.
वैक्सीन को लेकर बनायी गे समूह अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने की. इस बैठक में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण भी मौजूद थे. विशेषज्ञ समूह ने सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को सलाह दी के वे वैक्सीन की खरीद के लिए स्वयं कोई कदम न उठाए. इस बैठक में वैक्सीन की खरीद, प्रबंधन और वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए डिजिटल माध्यमों का सहारा लेने पर विचार किया गया. देश में वैक्सीन के चयन के लिए व्यापक मापदंडों पर चर्चा की गई और टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह की स्थायी तकनीकी उप-समिति (NTAGI) से इनपुट मांगे.
इस दौरान विशेषज्ञ समूह ने कोरोना वैक्सीन की खरीद के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की. कोरोना के टीकाकरण के लिए डिलीवरी प्लेटफॉर्म, कोल्ड चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में भी चर्चा की गई. विशेषज्ञ समूह ने देश में घरेलू टीका निर्माण क्षमता पर विचार विमर्श किया गया और साथ में किस देश से वैक्सीन मंगवाई जाए इस पर चर्चा की गई.
दुनिया की किसी भी वैक्सीन का फेज 3 ट्रायल अभी पूरा नहीं
वहीं दुनिया भर वैक्सीन की स्थिति के बारे में बताते हुये पीएचएफआई के अध्यक्ष, डॉ. के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि दुनिया में किसी भी वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है. वैक्सीन को वायरस के अलग-अलग प्रोटीन से बनाया जाता है, यह पूरे वायरस से नहीं बनती है. वायरस के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं. ऐसे में वैक्सीन से जो प्रोटीन बनेगा वो शरीर में जाकर वायरस से लड़ने में सक्षम है या नहीं, इसे देखते हैं.
इसके बाद देखते हैं कि वैक्सीन से कोई खतरा तो नहीं है और कितने दिन, महीने या साल तक इसका प्रभाव रहेगा. कई बार वैक्सीन वायरस के हिस्से तक पहुंच जाती है, लेकिन उसे नष्ट नहीं कर पाती, तो कई बार यह वायरस के प्रभाव को बढ़ा देती है, जिससे दूसरे अंग प्रभावित होने लगते हैं. ट्रायल में यह सब देखा जाता है.
सीरम इंस्टीट्यूट पहले से वैक्सीन का कही रही उत्पादन
इसके अलावा भारत में बन रही वैक्सीन के बारे में कहा कि दो वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं, दोनों भारत में ही बनी हैं. ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी भी एक वैक्सीन बना रही है, जिनके साथ पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी काम कर रहा है. सीरम इंस्टीट्यूट पहले से ही भारत समेत कई देशों में दवा, वैक्सीन बनाता रहा है. यह संस्थान ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन के करीब 60 लाख डोज पहले से तैयार कर रहा है, ताकि अगर तीनों ट्रायल में वैक्सीन सफल होती है, तो जल्द से जल्द इसे लोगों तक पहुंचाया जा सके. लेकिन परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा की वो मिलेगी या नहीं.