लॉकडाउन के दौरान केरल में फंसे 164 स्विस नागरिकों को किया गया एयरलिफ्ट, कोचिन एयरपोर्ट से ज्यूरिख के लिए किया गया रवाना

लॉकडाउन के चलते दक्षिण भारत के केरल में फंसे स्विटजरलैंड के नागरिकों को उनके देश पहुंचाने के लिए उन्हें एयरलिफ्ट किया गया है. केरल के कोच्चि में फंसे करीब 164 स्विस नागरिकों को शनिवार रात स्विस एयर द्वारा कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से एयरलिफ्ट किया गया. विशेष विमान ने कोचिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शनिवार देर रात 11.10 बजे ज्यूरिख के लिए उड़ान भरी.

केरल में फंसे स्विस नागरिकों को किया गया एयरलिफ्ट (Photo Credits: ANI)

कोच्चि: दिसंबर 2019 में चीन (China) के वुहान (Wuhan) से निकले कोरोना वायरस (Coronavirus) ने अब तक दुनिया के तकरीबन 200 देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. नोवेल कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के तेजी से बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए दुनिया के कई देशों ने लॉकडाउन (Lockdown) का रास्ता अपनाया है, जिसके चलते भारत के कई नागरिक विदेशों में फंस गए, जबकि कई देशों के विदेशी नागरिक (Foreign Nationals) भी भारत में फंस गए. लॉकडाउन के चलते भारत के विभिन्न इलाकों में फंसे विदेशी नागरिकों को उनके देश वापस भेजने की कवायद जारी है. लॉकडाउन के बीच भारत में फंसे विदेशी नागरिकों को सुरक्षित उनके देश पहुंचाया जा सके, इसके लिए सरकार की तरफ से हर संभव कोशिश जारी है.

इस बीच लॉकडाउन के चलते दक्षिण भारत के केरल (Kerala) में फंसे स्विटजरलैंड के नागरिकों को उनके देश पहुंचाने के लिए उन्हें एयरलिफ्ट किया गया है. केरल के कोच्चि (Kocchi)  में फंसे करीब 164 स्विस नागरिकों को शनिवार रात स्विस एयर द्वारा कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से एयरलिफ्ट किया गया. विशेष विमान ने कोचिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शनिवार देर रात 11.10 बजे ज्यूरिख के लिए उड़ान भरी. यह भी पढ़ें: कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच पीएम मोदी ने की 'मन की बात', कहा- आज पूरा देश लड़ रहा है लड़ाई, सबका लक्ष्य एक

देखें ट्वीट-

गौरतलब है कि कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप पर नियंत्रण पाने के लिए भारत में 24 मार्च को 21 दिवसीय देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया था. लॉकडाउन के पहले चरण के आखिरी दिन यानी 14 अप्रैल को पीएम मोदी ने दूसरे चरण का ऐलान करते हुए लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया. लॉकडाउन के चलते देश के कोने-कोने में कई विदेशी पर्यटक फंस गए, जिन्हें उनके देश पहुंचाने की कवायद जारी है.

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