देश में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 15 हजार के पार, COVID-19 से अब तक 507 लोगों की मौत

भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार सुबह तक देशभर में कोरोना वायरस के 15,712 मामले सामने आए हैं. देश में इस महामारी से कुल 507 लोगों की मौत हो चुकी है.

कोरोना वायरस (Photo Credits: PTI)

भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रविवार सुबह तक देशभर में कोरोना वायरस के 15,712 मामले सामने आए हैं. देश में इस महामारी से कुल 507 लोगों की मौत हो चुकी है. देश में कोरोना के 12,974 एक्टिव केस हैं जबकि 2230 मरीजों को इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में 1,334 नए मामले सामने आए हैं और 27 लोगों की मौत हुई है. देश में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में हैं. महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमितों की संख्या 3,648 हो गई है. राज्य में कोरोना वायरस से अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में 3 मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया है. देशभर में लोग अपने घरों में कैद हैं. इस बीच सबसे ज्यादा परेशानी में मजदूर हैं. दिहाड़ी मजदूरों को दो वक्त की रोटी के लिए जद्दोजहत करनी पड़ रही है. लॉकडाउन के कारण इन लोगों के खाने का बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है. यह भी पढ़ें- दिल्ली: लॉकडाउन में छलका महिला का दर्द, कहा- दिल की बीमारी से पीड़ित बेटी की दवा के लिए नहीं है पैसे, कामकाज बंद होने से बढ़ी दिक्कत.

लॉकडाउन ने राजस्थान के भीलवाड़ा के मजदूरों के लिए दो वक्त की रोटी तक का संकट खड़ा कर दिया है. मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए किसानों के खेत में फसल कटाई व समेटने के बाद जो एक-एक दाना होता है उसको समेट कर शाम की रोटी का इंतजाम कर रहे हैं. एक महिला मजदूर ने बताया कि हमें कोरोना की वजह से रोजगार नहीं मिल रहा है. शाम के भोजन के लिए यहां एक-एक दाना बीन कर इसको बेच कर शाम के भोजन की व्यवस्था करते हैं.

लॉकडाउन की वजह से उत्तर प्रदेश के कानपुर में ऑटो ड्राइवरों का काम ना मिलने से काफी परेशानी हो रही है. एक ऑटो ड्राइवर ने बताया, जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से कोई सवारी नहीं मिली है. यहां खाना बांटने वाले आते हैं उन्हीं के सहारे बैठे हैं, मिल जाता है तो परिवार के लिए भी ले जाते हैं.

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