Coronavirus 2020: क्या आपका क्षेत्र हॉटस्‍पॉट घोषित है? इसका आशय समझें और नियमों का पालन कर खुद जीएं और दूसरों को भी जीनें दें

अगर उपरोक्त नियमों का कड़ाई से पालन करें तो अभी भी कोरोनावायरस के घातक संक्रमण से लड़कर उसे खत्म किया जा सकता है. सोशल डिस्टेंसिंग की इसमें सबसे अहम भूमिका होती है. इसका विरोध कर आप अपने को ही नहीं अन्य के लिए भी घातक साबित हो सकते हैं.

लॉकडाउन की प्रतीकात्मक तस्वीर IANS

कोरोनावायरस का संक्रमण निरंतर बेकाबू होता जा रहा है. अमेरिका, जापान, चीन, इंग्लैंड, स्पेन, इटली, ईरान, जर्मनी जैसी महाशक्तियां बेबस होकर कोविड-19 के सामने समर्पण कर चुकी हैं. ताजे आंकड़ों के अनुसार 17 लाख से ज्यादा लोग कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं, जबकि एक लाख से ज्यादा लोग काल-कवलित हो चुके हैं. महाशक्तियों की तुलना में भारत बेहतर स्थिति में है. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कोविड-19 के खिलाफ भारतीय सक्रियता की प्रशंसा की है, हालांकि भारत की भारी आबादी को देखते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि जरा-सी लापरवाही स्थिति को विस्फोटक बना सकती है.

भारत सरकार की हर कोशिश कोरोना को समाप्त करने की है. कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए सरकार सोशल डिस्टेंसिंग पर कड़ाई से पालन करते हुए ‘लॉक डाउन’, ‘हॉट स्पॉट’ और ‘सील’ जैसे कड़े नियम देश के विभिन्न स्थलों पर लागू कर चुकी है. लेकिन अपनी रणनीति में सरकार पूरी तरह सफल नहीं हो पा रही है. प्रश्न उठता है कि आखिर चूक कहां हो रही है? आइये कारणों को जानने से पहले समझने की कोशिश करें कि ‘लॉक डाउन’, ‘हॉट स्पॉट’ और ‘सील’ का आशय क्या है.

केंद्र सरकार ने पूरे देश में 21 दिन का ‘लॉकडाउन’ किया था, मगर कोरोना के निरंतर बढ़ते जा रहे हैं. कुछ जगहों पर भीड़ एकत्र होने की स्थिति में कर्फ्यू तक लगाना पड़ा है. उत्‍तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र एवं दिल्ली के कुछ हॉटस्‍पॉट्स स्थानों को चिन्हित कर पूरी तरह सील कर दिया गया. सर्वप्रथम जानते हैं, सामान्य लॉकडाउन संपूर्ण लॉक डाउन में क्या फर्क है?

संपूर्ण लॉकडाउन और सामान्य लॉकडाउन में अंतर

सामान्य लॉकडाउन में जरूरी सेवाओं की दुकानें, दूध, ब्रेड, अंडे, सब्जी-फलों, दवाओं आदि की दुकानें खुली रहती हैं. हमें शारीरिक दूरी को बनाते हुए इन जरूरी वस्तुओं को खरीदना होता है. जरूरतमंद लोग होम डिलीवरी का विकल्प भी अपना सकते हैं. सार्वजनिक स्थानों पर बिना वजह आने जाने पर पाबंदी होती है. इसके विपरीत संपूर्ण लॉकडाउन में सरकार द्वारा घोषित क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है. ना कोई प्रभावित इलाके में आ सकता है और ना ही बाहर जा सकता है. ऐसी स्थिति में आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति जिला प्रशासन अपने हाथ में लेता है. बैंक, सरकारी कार्यालय, पेट्रोल पंप व अन्य प्रतिष्ठान जो सामान्य लॉकडाउन में खुले रहते हैं वह संपूर्ण लॉकडाउन में बंद रहेंगे. लोगों को आने जाने के लिए पास भी मुश्किल से प्राप्त होता है.

‘सीलिंग’ में कोई छूट नहीं

‘लॉक डाउन’ के बावजूद जिन क्षेत्रों में कोविड-19 के संक्रमण पर नियंत्रण नहीं रखा जा सका, वहां सब कुछ सील कर दिया जाता है. लोगों को घरों से बाहर निकलने पर कड़ाई से प्रतिबंध लगा दिये जाते हैं. यहां तक कि दूध-राशन के लिए भी छूट नहीं मिलती. सभी दुकानें बंद करा दी जाती हैं. इस दरम्यान हर घरों में स्‍क्रीनिंग की जाती है. संदिग्‍ध लोगों के सैंपल लिये जाते हैं. हर पॉजिटिव केस के संपर्कों की भी पहचान की जाती है. संदिग्धों को भी इलाज के दायरे में लिया जाता है. इस पूरे क्षेत्र को आसपास के क्षेत्रों से अलग कर दिया जाता है, ताकि संक्रमण पास के क्षेत्र के लोगों को प्रभावित न कर पाये. पिछले दिनों उप्र, मप्र, दिल्ली एनसीआर, तमिलनाडु. राजस्थान की प्रदेश सरकार ने ऐसे इलाकों को पूरी तरह से हॉटस्पॉट्स सील करने का आदेश जारी कर दिया गया. भीलवाड़ा, इंदौर जैसे कुछ जिलों को पूरी तरह से सील करना पड़ा. खबरों के अनुसार उप्र के 15 जिले के खास इलाकों को सील कर दिया गया.

क्या है हॉट स्पॉट मॉडल

हॉट स्पॉट की रणनीति के तहत जिस क्षेत्र में कोरोना संक्रमित मरीज मिलते है, उसे हॉट स्पॉट क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया जाता है. इस क्षेत्र की बैरिकेडिंग कर स्वस्थ व्यक्ति को घर में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. मेडिकल इमरजेंसी के अलावा हर किसी के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी जाती है. इस क्षेत्र में रहने वालों की फल-सब्जी, राशन, दवा और दूध जैसी आवश्यक वस्तुओं की स्थानीय प्रशासन द्वारा घर-घर डिलीवरी कराई जाती है. जिसके चलते हॉट स्‍पॉट क्षेत्र में स्वास्थ्य, पुलिस, प्रशासन और सैनिटेशन (सफाई) के साथ सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की घर-घर डिलीवरी करने वालों के अलावा किसी भी शख्स को आने-जाने की अनुमति नहीं दी जाती है. फायर बिग्रेड जैसे वाहनों के जरिये इस क्षेत्र के घर-घर को सेनेटाइज किया जाता है. इस दौरान हॉट स्पॉट क्षेत्र में लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कर वाहनों को भी जब्त कर लिया जाता है.

अगर उपरोक्त नियमों का कड़ाई से पालन करें तो अभी भी कोरोनावायरस के घातक संक्रमण से लड़कर उसे खत्म किया जा सकता है. सोशल डिस्टेंसिंग की इसमें सबसे अहम भूमिका होती है. इसका विरोध कर आप अपने को ही नहीं अन्य के लिए भी घातक साबित हो सकते हैं.

 नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं.

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