उत्तर प्रदेश में और 2 शहर कानपुर व वराणसी में कमिश्नरेट सिस्टम को मिली मंजूरी
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और नोएडा के बाद वाराणसी और कानपुर में भी कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने को मंजूरी मिल गई है. गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिली.
लखनऊ, 26 मार्च : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ और नोएडा के बाद वाराणसी और कानपुर में भी कमिश्नरेट सिस्टम (Commissioned system) लागू करने को मंजूरी मिल गई है. गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिली. यूपी के बड़े शहरों में अपराध और अपराधियों पर अधिक नियंत्रण करने के लिए इस सिस्टम का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) के चुनावी दौरे से लौट कर शाम को प्रदेश कैबिनेट की बैठक की. मुख्यमंत्री के सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर आयोजित इस बैठक में फैसला लिया गया. नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट की तरह ही अब कानपुर और वाराणसी में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होगी. पूर्व डीजीपी और भाजपा के राज्यसभा सांसद ब्रजलाल ने दो शहरों में कमिश्नरेट सिस्टम के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट किया है, "कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के लिए मुख्यमंत्री योगी जी को बहुत-बहुत साधुवाद. लखनऊ और नोयड़ा के बाद दोनो बड़े शहरों में इस प्रणाली को लागू होने के बाद पुलिस अधिकारियों को इसे सफल बनाने में जी- जान से जुट जाना चाहिए."
ज्ञात हो कि नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हुए एक साल पूरे हो गए हैं. बताया जाता है कि कमिश्नरेट के परिणाम सकारात्मक रहे हैं. पुलिस को अधिकार मिले तो कानून-व्यवस्था बेहतर हुई. अपराधियों पर नकेल कसने में आसानी हुई और महिला अपराध में भी कमी आई. दोनों शहरों में बीते कई वर्षो की अपेक्षा 2020 में हर तरह के अपराध में कमी दर्ज की गई. इसके बाद कानपुर और वाराणसी में कमिश्नरेट लागू करने का खाका शासन तैयार कर लिया गया था. अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था, अनुशासन और ट्रैफिक सुधार की वजह से पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को कामयाब बताया जा रहा है. इसे देखते हुए अब कुछ और शहरों में यह सिस्टम लागू करने पर भी विचार चल रहा है. लखनऊ और नोएडा (गौतमबुद्घनगर) में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम 15 जनवरी 2020 को लागू किया गया था. इसके बाद से अपराध की घटनाओं में काफी कमी आई है. यह भी पढ़ें : Bharat Bandh Today: किसानों का देशव्यापी भारत बंद शुरू, सड़क-रेल जाम करने का ऐलान, इन सेवाओं पर रहेगा असर
गौरतलब है कि कमिश्नर प्रणाली लागू होने पर पुलिस के अधिकार काफी हद तक बढ़ जाएंगे. कानून व्यवस्था से जुड़े तमाम मुद्दों पर पुलिस कमिश्नर निर्णय ले सकेंगे. जिले में डीएम के पास अटकी रहने वाली तमाम फाइलों को अनुमति लेने का तमाम तरह का झंझट भी खत्म हो जाएगा. कमिश्नर सिस्टम लागू होते ही एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मैजिस्टेरियल पावर पुलिस को मिल जाएगी. इससे पुलिस शांति भंग की आशंका में निरुद्ध करने से लेकर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और रासुका तक लगा सकेगी. इन चीजों को करने के लिए डीएम से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी, फिलहाल ये सब लगाने के लिए डीएम की सहमति जरूरी होती है. भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं. इस पद पर आईएएस अधिकारी बैठते हैं. लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं.