दूसरों के लिए सबक हो सकती है चिराग पासवान की नकारात्मक राजनीति

बिहार में चिराग पासवान ने जून के तीसरे सप्ताह में ही अपनी ही पार्टी के भीतर अपनी राजनीतिक स्थिति खो दी थी. उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने स्वर्गीय रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर तख्तापलट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

दूसरों के लिए सबक हो सकती है चिराग पासवान की नकारात्मक राजनीति
चिराग पासवान (Photo: PTI)

पटना, 20 जून : बिहार में चिराग पासवान (Chirag Paswan_ने जून के तीसरे सप्ताह में ही अपनी ही पार्टी के भीतर अपनी राजनीतिक स्थिति खो दी थी. उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने स्वर्गीय रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) द्वारा स्थापित पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर तख्तापलट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. घटनाओं की समग्र श्रृंखला अन्य राजनीतिक दलों और व्यक्तिगत नेताओं के लिए एक सबक हो सकती है, जो नकारात्मक राजनीति के जरिये अपना नफा-नुकसान देखने की कोशिश करते हैं. चिराग पासवान की राजनीति में नकारात्मकता पहली बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान सामने आई जब उन्होंने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. इससे उनकी कोशिश जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को अधिकतम नुकसान पहुंचाने की कोशिश थी . उस वक्त उन्होंने खुले तौर पर भाजपा का समर्थन करने के साथ ही खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था.

चिराग पासवान को जदयू को नुकसान पहुंचाने के अपने एक सूत्रीय एजेंडे के कारण एनडीए छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि बीजेपी और जदयू दोनों एनडीए का हिस्सा हैं. चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से ज्यादातर जदयू के खिलाफ थे. लोजपा ने अपने गेमप्लान के मुताबिक साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू को सिर्फ 43 सीटें मिलीं, जबकि 2015 के चुनावों में इसके सीटों की संख्या 69 थीं. इस तरह के ²ष्टिकोण ने चिराग पासवान को और अधिक आहत किया क्योंकि साल 2020 के चुनावों में उनकी पार्टी ने सिर्फ एक ही सीट पर जीत हासिल की थी. सिर्फ एक सीट जीतने का प्रबंधन किया. बाद में मटिहानी निर्वाचन क्षेत्र से जीते लोजपा के इकलौते विधायक राज कुमार सिंह ने जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार से हाथ मिला लिया था. यह भी पढ़ें : ‘Baba Ka Dhaba’ मालिक की सेहत में आया सुधार, अस्पताल के वेंटिलेटर से हटे

पशुपति कुमार पारस ने विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान की नकारात्मक राजनीति की ओर इशारा करते हुए कहा, "2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान हम संसदीय चुनाव की तरह एनडीए के तहत चुनाव लड़ना चाहते थे. चिराग ने इसका विरोध किया और विधानसभा चुनाव में अकेले जाने का फैसला किया और सिर्फ एक ही सीट जीत सके. पार्टी का राजनीतिक रूप से सफाया हो गया है. पार्टी कार्यकर्ता और नेता उनके फैसले से नाराज हैं." लोजपा में राजनीतिक अशांति के बीच चिराग पासवान ने खुले तौर पर आरोप लगाया कि जदयू नेता उनके खिलाफ काम कर रहे हैं और पार्टी को तोड़ रहे हैं. राजद ने भी जदयू पर इसी तरह के आरोप लगाए थे. राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने कहा, "चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के बीच विभाजन के पीछे नीतीश कुमार हैं." इसका जवाब देते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर.सी.पी. सिंह ने कहा कि चिराग पासवान वही काट रहे हैं जो उन्होंने बोया है. सिंह ने कहा, "चिराग पासवान ने हाल के दिनों में बहुत सारी गलतियां की हैं. बिहार के लोग और उनकी अपनी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जो कुछ भी उन्होंने किया उससे खुश नहीं थे. अब पार्टी में दरार इसका परिणाम है."


संबंधित खबरें

Neeraj Kumar on Tejashwi Yadav: बीपीएससी छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ न करें तेजस्वी यादव; जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार

VIDEO: बेल्ट और डंडे से पीटा फिर, थूक चटवाया... बिहार में 3 लोगों ने युवक के साथ की हैवानियत, वीडियो वायरल

Syria Civil War: सीरिया में तख्तापलट के बाद चीन की बढ़ी टेंशन, 'पुराने दुश्मन' से मिली चुनौती

Adani Group ने बिहार में 27,900 करोड़ रुपये के निवेश का किया ऐलान; 53,500 लोगों को मिलेगा रोजगार

\