राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे कई राज्यों के मुख्यमंत्री

सीएमओ ने ठाकरे के हवाले से कहा, "शिवसेना नेता ने केसीआर की लड़ाई के लिए प्रशंसा की है और उनसे कहा है कि देश को 'विभाजनकारी' ताकतों से बचाने के लिए उन्होंने सही समय पर आवाज उठाई है. आप राज्यों के अधिकारों के लिए और देश की एकता की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखें. इसी भावना के साथ आगे बढ़ें.

के चंद्रशेखर राव (Photo: PTI)

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) से पहले विभिन्न राज्यों (States) के मुख्यमंत्री भाजपा (BJP) का मुकाबला करने के लिए एकजुट हो रहे हैं. ताजा पहल तेलंगाना (Telangana) के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) ने की है. वह रविवार को महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से मुलाकात करेंगे. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री लंबे समय से भाजपा के खिलाफ दिखाई दे रहे हैं, जबकि अब केसीआर, जिन्होंने संसद में विभिन्न मुद्दों पर भाजपा का समर्थन किया था, अब भाजपा के खिलाफ मुखर हो चुके हैं. महाराष्ट्र की सरकार गिराने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियों का हो रहा इस्तेमाल- संजय राउत

चावल की खरीद के मुद्दे पर केसीआर और केंद्र के बीच संबंधों में खटास पैदा हो गई और अब हाल ही में तेलंगाना के गठन पर प्रधानमंत्री के भाषण ने उनके संबंधों को और अधिक बिगाड़ दिया है. पीएम मोदी ने तेलंगाना को राज्य का दर्जा देने की प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए आलोचना की थी.

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अनुसार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने केंद्र में भाजपा सरकार की 'जनविरोधी' नीतियों और संघीय न्याय के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) प्रमुख के प्रयासों को अपना पूरा समर्थन दिया है.

सीएमओ ने ठाकरे के हवाले से कहा, "शिवसेना नेता ने केसीआर की लड़ाई के लिए प्रशंसा की है और उनसे कहा है कि देश को 'विभाजनकारी' ताकतों से बचाने के लिए उन्होंने सही समय पर आवाज उठाई है. आप राज्यों के अधिकारों के लिए और देश की एकता की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखें. इसी भावना के साथ आगे बढ़ें. आपको हमारा पूरा समर्थन मिलेगा. इस संबंध में हम जनता का समर्थन जुटाने के लिए आपकी हर संभव मदद करेंगे."

न सिर्फ मुंबई में होने वाली मुलाकात अहम है, बल्कि केसीआर की तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के साथ मुलाकात भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. यहां तक कि ममता बनर्जी भी केसीआर से मिलने हैदराबाद जा सकती हैं. यही नहीं, उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने भी पूर्ण समर्थन की पेशकश की है. लेकिन मुख्यमंत्रियों का साथ आना कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं है, जो अलग-थलग पड़ सकती है, जबकि भाजपा को राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम सहमति के उम्मीदवार की तलाश करनी है.

जबकि केसीआर की नई पहल किले को बचाने के लिए है, क्योंकि भाजपा तेलंगाना में अपना आधार बढ़ा रही है और घरेलू राजनीतिक मजबूरी के कारण उन्हें भाजपा से मुकाबला करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

दक्षिणी राज्यों और महाराष्ट्र में 200 से अधिक लोकसभा सीटें हैं, जो अगले लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण हो सकती हैं और राज्यों में बड़े निर्वाचक मंडल हैं, क्योंकि संसद और राज्यों में इसका आधा हिस्सा है और यदि क्षेत्रीय दल मिलकर काम करते हैं, तो इसकी संभावना नहीं है कि राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की राह आसान होगी. यूपी समेत पांच राज्यों के नतीजों का भी इस चुनाव पर असर पड़ेगा.

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