दिक्कत में छत्तीसगढ़ के पूर्व CM अजित जोगी, जाति प्रमाण पत्र मामले को लेकर FIR दर्ज
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (फाइल फोटो )

रायपुर: फर्जी जाती प्रमाण पत्र मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी (Ex-Chief Minister Ajit Jogi) पर बिलासपुर में मुकदमा दर्ज किया गया है. यह मुकदमा बिलासपुर जिला प्रशासन की तरफ से दर्ज किया गया है. बिलासपुर जिले के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल (Prashant Agrawal) के अनुसार शहर के सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन (Civil Lines police station) में उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है. इस मुकदमें को बिलासपुर जिले के कलेक्टर की ओर से तहसीलदार टी आर भारद्वाज ने दर्ज करवाया है. लेकिन इस मामले में अभी तक किसी भी तरफ की गिरफ्तार नहीं हुई है. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.

पूर्व सीएम जोगी  का जाति प्रमाण पत्र फर्जी है कि जांच को लेकर एक टीम गठित की गई थी. जिस टीम ने 23 अगस्त को पूर्व सीएम योगी के उस प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया कि वे कंवर आदिवासी समाज से हैं. जिसके बाद गठित टीम ने सीएम जोगी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने को लेकर बिलासपुर जिले के कलेक्टर को आदेश दिया. जिस आदेश के बाद जोगी के खिलाफ पुलिस स्टेशन में फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर मामला दर्ज हुआ. वहीं इस पूरे मामले पर सीएम योगी के बेटे अमित जोगी से सफाई देते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार बदले की भावना में कार्रवाई करवा रही है. जो वे इस मामले को कोर्ट में चुनौती देंगे. यह भी पढ़े: उत्तर प्रदेश : योगी सरकार ने खेला मास्टर स्ट्रोक, 17 OBC जातियों को SC में किया शामिल

बता दें कि यह अभी हाल ही का मामला नहीं है बल्कि यह मामला साल 2001 का है. उनके फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर बीजेपी नेता संत कुमार नेताम इस मामले की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में थी. नेताम अपने शिकायत में आयोग को बताया कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर स्वयं को आदिवासी बताया है जबकि वे आदिवासी समाज से नहीं है. इसलिए जोगी के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.जिसके बाद उनके जाति प्रमाण पत्र की जांच की गई. उसमें फर्जी पाए जाने के बाद उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया था.

2011 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला:

पूर्व सीएम अजित जोगी के जाति प्रमाण पत्र के जांच को लेकर 2011 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया और कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि जाति की छानबीन के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति बनाई जाए और वह अपना फैसला दे. जो सरकार के तरफ से पूर्व सीएम जोगी के जाति प्रमाण पत्र को लेकर एक समित गठित की गई. टीम ने अपनी जांच पड़ताल में पाया कि जोगी जो अपने जाति प्रमाण पत्र में अपने को कंवर अनुसूचित जनजाति की बात कर रहे है वे उस समाज से नहीं है. जिसके बाद उनका जाति प्रमाण पत्र 2017 में निरस्त कर दिया गया.