Chhattisgarh: बंजर भूमि पर बन रहा भारत का सबसे बड़ा ‘मैन मेड’ जंगल, 17 किमी क्षेत्र में लग चुके है 83 हजार पौधे, 3 साल में होगा भव्य नजारा

छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) से लगभग 55 किलोमीटर दूर दुर्ग (Durg) जिले के नंदिनी (Nandini) में एक विशाल क्षेत्र में देश के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल (Man-Made Forest) की राह बनकर लगभग पूरी हो चुकी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) हाल ही में नंदिनी की खाली पड़ी माइंस में बने विशाल मानव निर्मित जंगल का अवलोकन किया है.

दुर्ग में भारत का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल (Photo Credits: Facebook)

रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) से लगभग 55 किलोमीटर दूर दुर्ग (Durg) जिले के नंदिनी (Nandini) में एक विशाल क्षेत्र में देश के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल (Man-Made Forest) की राह बनकर लगभग पूरी हो चुकी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) हाल ही में नंदिनी की खाली पड़ी माइंस में बने विशाल मानव निर्मित जंगल का अवलोकन किया है. छत्तीसगढ़ में मिलेट फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए आईआईएमआर करेगा सहयोग

देश में पर्यावरण की मानव निर्मित विशाल धरोहर दुर्ग जिले के नंदिनी की खाली पड़ी माइंस में बनी है. यहां विशाल मानव निर्मित जंगल विकसित किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को दौरा कर इस प्रोजेक्ट की विस्तार से जानकारी ली. इस मौके पर उन्होंने जंगल में बरगद का पौधा लगाया.

देश-दुनिया के लिए बना उदाहरण 

नंदिनी की खाली पड़ी खदानों की जमीन में यह प्रोजेक्ट विकसित किया गया है. लगभग 3.30 करोड़ रुपए की लागत से यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. उल्लेखनीय है कि इसके लिए डीएमएफ तथा अन्य मदों से राशि ली गई है. सीएम के निर्देश पर पर्यावरण संरक्षण के लिए यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया. यह प्रोजेक्ट देश दुनिया के सामने उदाहरण है कि किस तरह से निष्प्रयोज्य माइंस एरिया को नेचुरल हैबिटैट के बड़े उदाहरण के रूप में बदला जा सकता है.

17 किमी क्षेत्र में लगाए गए 83 हजार पौधे

उल्लेखनीय है कि 17 किलोमीटर क्षेत्र में फैले नंदिनी के जंगल में पहले ही सागौन और आंवले के बहुत सारे वृक्ष मौजूद हैं. अब खाली पड़ी जगह में 83,000 पौधे लगाये गये हैं. इसके लिए डीएमएफ-एडीबी से राशि स्वीकृत की गई. अधिकारीयों ने बताया कि यहां 83 हजार पौधे लगाये जा चुके हैं. 3 साल में यह क्षेत्र पूरी तरह जंगल के रूप में विकसित हो जाएगा. यहां पर विविध प्रजाति के पौधे लगने की वजह से यहां का प्राकृतिक परिवेश बेहद समृद्ध होगा. यहां पर पीपल, बरगद जैसे पेड़ लगाए गये हैं जिनकी उम्र काफी अधिक होती है साथ ही हर्रा, बेहड़ा, महुवा जैसे औषधि पेड़ भी लगाए गये हैं.

100 एकड़ में औषधीय पौधे, फलोद्यान विकसित करने के निर्देश

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने यह प्रशंसनीय कदम है. यहां 100 एकड़ में औषधीय पौधे तथा फलोद्यान भी विकसित करें. उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये ये बड़ी पहल है. इससे प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी.

पक्षियों का आदर्श रहवास 

पक्षियों के लिए भी यह मानव निर्मित जंगल बड़ी सौगात लेकर आया है. दरअसल पूरे प्रोजेक्ट को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह पक्षियों के लिए भी आदर्श रहवास बनेगा तथा पक्षियों के पार्क के रूप में विकसित होगा. यहां पर एक बहुत बड़ा वेटलैंड है जहां पर पहले ही विसलिंग डक्स, ओपन बिल स्टार्क आदि लक्षित किए गए हैं यहां झील तथा नजदीकी परिवेश को पक्षियों के ब्रीडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित होगा.

इको टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा

इसके आलावा, यहां इको टूरिज्म के विकास की बहुत अधिक उम्मीद है. इस मानव निर्मित जंगल में घूमने के लिए भी विशेष व्यवस्था होगी. इसके लिए भी आवश्यक कार्य योजना बनाई गई है ताकि यह छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश के सबसे बेहतरीन पर्यटन स्थलों में शामिल हो सके.

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