Chandrayaan-3: लैंडर से बाहर आया 'रोवर' चांद पर छोड़ेगा भारत की छाप, दक्षिणी ध्रुव के कई रहस्यों से उठाएगा पर्दा

इसरो का चंद्रयान-3 नया इतिहास रच चुका है. विक्रम लैंडर की सफलतापूर्वक लैंडिंग के साथ ही भारत चांद की दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया. अब मिशन को आगे ले जाने की जिम्मेदारी प्रज्ञान रोवर पर है.

Lunar South Pole | Image: ISRO

Chandrayaan-3: इसरो का चंद्रयान-3 नया इतिहास रच चुका है. विक्रम लैंडर की सफलतापूर्वक लैंडिंग के साथ ही भारत चांद की दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया. अब मिशन को आगे ले जाने की जिम्मेदारी प्रज्ञान रोवर पर है. प्रज्ञान रोवर लैंडर विक्रम से बाहर निकल चुका है. प्रज्ञान रोवर अब चंद्रमा की सतह पर आ गया है. 6 पहियों वाला यह रोबोटिक यंत्र लैंडर विक्रम से अलग होकर चांद की सतह पर घूमेगा और जानकारियां जुटाकर ISRO तक भेजेगा. बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की. लैंडिंग के दो घंटे और 26 मिनट बाद लैंडर से रोवर भी बाहर आ गया है. Chandrayaan-3: भारत ने दुनिया को बताया कैसा है चांद का दक्षिणी हिस्सा, लैंडिंग के बाद 'विक्रम' ने भेजी ये तस्वीरें.

क्या करेगा रोवर

रोवर प्रज्ञान छह पहियों वाला रोबोट है. ये चांद की सतह पर चलेगा. रोवर प्रज्ञान एक रोबोट वाहन है जो छह पहियों पर चंद्र सतह पर खोज बिन करेगा. यह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चंद्र सतह पर यात्रा करेगा और मिशन में कुल आधा किलोमीटर की दूरी तय करने की सम्भावनाए हैं. इसके पहियों में अशोक स्तंभ की छाप है. जैसे-जैसे रोवर चांद की सतह पर चलेगा, वैसे-वैसे अशोक स्तंभ की छाप छपती चली जाएगी. रोवर की मिशन लाइफ 1 लूनर डे है. चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है.

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संजीव सहजपाल के मुताबिक, सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही लैंडर और रोवर चांद की सतह पर अपना काम करना शुरू कर देंगे. लैंडर के साथ ही चांद की सतह पर उतरने वाले रोवर अपने पहियों वाले उपकरण के साथ वहां की सतह की पूरी जानकारी इसरो के वैज्ञानिकों को देना शुरू कर देगा. इन पहियों पर अशोक स्तंभर और इसरो के चिह्न उकेरे गए हैं, जो प्रज्ञान के आगे बढ़ने के साथ चांद की सतह पर अपने निशान छोड़ेंगे. इसी तरह इसरो के चिह्न चांद पर अंकित हो जाएंगे.

इसरो के इस मिशन का उदेश्य चंद्रमा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने और उसके विज्ञान को अभ्यास में लाने के लिए चंद्रमा की सतह पर उपलब्ध रासायनिक और प्राकृतिक तत्वों, मिट्टी, पानी आदि पर वैज्ञानिक प्रयोग करना है.

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