भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर का बड़ा बयान, कहा- नहीं लडूंगा लोकसभा चुनाव, रावण नाम पर भी जताया एतराज

समर्थकों की तमाम अटकलों पर पूर्णविराम लगाते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि फिलहाल वह सामाजिक कार्यकर्ता ही बने रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "मैं 2019 में चुनाव नहीं लड़ूंगा. मैं किसी एक राजनीतिक दल का साथ नहीं दे सकता हूं.

भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद (रावण) ( Photo Credit: ANI )

नई दिल्ली: भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण के जेल से रिहा होने के बाद उनके समर्थक कयास लगा रहे थे कि भीम आर्मी के मुखिया आगामी लोकसभा चुनाव में एक सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने वाले हैं. समर्थकों की तमाम अटकलों पर पूर्णविराम लगाते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि फिलहाल वह सामाजिक कार्यकर्ता ही बने रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "मैं 2019 में चुनाव नहीं लड़ूंगा. सहारनपुर में लोग मैं जो कहता हूं उसका पूरी निष्ठा से पालन करते हैं. उनके प्रति मेरी एक जिम्मेदारी भी है. मैं वह हूं जिससे लोग नेतृत्व और बदलाव की उम्मीद करते हैं. मैं किसी एक राजनीतिक दल का साथ नहीं दे सकता हूं. मुझे ईमानदार और पारदर्शी होने की जरूरत है."

चंद्रशेखर को 2017 में सहारनपुर में जातीय दंगा फैलाने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासूका) के तहत जेल भेजा गया था. रावण को गुरुवार रात 2:30 बजे जेल से रिहा किया गया. इससे पहले बुधवार को योगी सरकार ने रावण को जेल से रिहा करने का आदेश दिया था.

रावण की रिहाई के दौरान भीम आर्मी के समर्थक काफी संख्या में जेल के बाहर जमा रहे. इसके बाद रविवार को भी 'रावण' की एक झलक पाने के लिए छुटमलपुर स्थित उनके घर के बाहर कई समर्थक जुटे.

जल्द रिहाई को बताया राजनितिक दाव

अपनी जल्दी रिहाई से जुड़े सवाल पर आजाद ने कहा कि, 'मुझे बिना किसी कारण के जेल में बंद कर दिया गया. फिर मुझ पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया गया. एक साल से ज्यादा मैं जेल में रहा और मेरी रिहाई से कुछ वक्त पहले मुझे छोड़ दिया गया. मझे लगता है कि बीजेपी इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश में है. चंद्रशेखर ने कहा यह सिर्फ एक राजनीतिक दाव है.'

रावण नाम से जताया एतराज

भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने जेल से बाहर निकलते ही खुद को रावण कहे जाने पर भी एतराज जताया. उन्होंने कहा कि वह सिर्फ चंद्रशेखर है और सिर्फ चंद्रशेखर ही रहना चाहता है. उन्हें बेवजह ही रावण बना दिया गया है. कुछ लोगों ने उन्हें रावण के नाम से संबोधित किया और फिर मीडिया ने उन्हें रावण के रूप में प्रचारित कर दिया.

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