नई दिल्ली: सीबीआई में मचे घमासान को लेकर मोदी सरकार निशाने में आ गई है. मामले को लेकर विपक्ष तो सरकार पर हमलावर था ही पर अब केंद्र सरकार अपनों के ही निशाने पर आ गई है. मामले में नई एंट्री बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की हुई है. स्वामी ने मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए अपनी ही सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है.
स्वामी ने ट्वीट कर कहा, ''सीबीआई में कत्लेआम के खिलाड़ी अब ईडी के अधिकारी राजेश्वर सिंह का निलंबन करने जा रहे हैं ताकि पीसी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल ना हो. अगर ऐसा हुआ तो भ्रष्टाचार से लड़ने की कोई वजह नहीं है, क्योंकि मेरी ही सरकार लोगों को बचा रही है. ऐसे में मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जितने मुकदमे दायर किए हैं सब वापस ले लूंगा.'
The players in the CBI massacre are about to suspend ED’s Rajeshwar so that he cannot file the chargesheet against PC. If so I will have no reason to fight the corrupt since my govt is hell bent on protecting them. I shall then withdraw from all the corruption cases I have filed.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) October 24, 2018
सीबीआई विवाद में बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को क्लीन चिट भी दी. स्वामी ने कहा, ''मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि मिस्टर वर्मा निर्दोष हैं, वह ईमानदार ऑफिसर हैं उन्हें हटाने के पीछे क्या वजह है, ये मुझे नहीं पता. अस्थाना के बारे में मुझे पता है, उन्होंने ही पहले सीवीसी में अपने डायरेक्टर को लेकर शिकायत की थी. आज ये कहना कि डायरेक्टर ने पब्लिक में रिलीज कर दिया, इस तरह के आरोप लगाना मैं नहीं मानता कि सही है.''
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बता दें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई में शीर्ष के दो अधिकारियों की लड़ाई में बुधवार सुबह नया मोड़ आया. केंद्र सरकार ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया. इससे पहले मंगलवार को आलोक वर्मा ने अपने जूनियर राकेश अस्थाना से सारी जिम्मेदारियां छीन ली थीं.
बुधवार को आलोक वर्मा को हटाने का फैसला आया तो विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि राकेश अस्थाना पीएम मोदी के प्रिय ऑफिसर रहे हैं और उन्हीं को बचाने के लिए आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया.
गौरतलब है कि राकेश अस्थाना के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल गठित हुई थी, जो मांस निर्यातक मोइन कुरैशी केस की जांच कर रही थी. आरोप है कि इसकी जांच में कुरैशी को बरी करने के लिए अस्थाना ने रिश्वत ली. दूसरी तरफ अस्थाना का आरोप है कि आलोक वर्मा ने इसकी जांच रुकवा दी.