Bulli Bai App: दिल्ली कोर्ट ने बुली बाई ऐप के निर्माता नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका खारिज की
पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि आरोपी ने समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाया, जिसमें अपमानजनक और आपत्तिजनक सामग्री मौजूद थी.
नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) की एक अदालत (Court) ने शुक्रवार को बुल्ली बाई ऐप (Bulli Bai App) मामले के मुख्य आरोपी और निर्माता इंजीनियरिंग के छात्र नीरज बिश्नोई (Neeraj Bishnoi) की जमानत याचिका खारिज कर दी. नीरज को दिल्ली पुलिस ने एक विशेष समुदाय की महिलाओं को बदनाम करने के लिए एक प्लेटफॉर्म पर ऐप बनाने के आरोप में असम से गिरफ्तार किया था. Bulli Bai App: दिल्ली कोर्ट ने बुली बाई ऐप के निर्माता नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका खारिज की
पटियाला हाउस कोर्ट के मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि आरोपी ने समुदाय विशेष की महिलाओं के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाया, जिसमें अपमानजनक और आपत्तिजनक सामग्री मौजूद थी.
अदालत ने यह भी नोट किया कि आरोपियों ने एक ऐसा ऐप बनाया, जहां सोशल मीडिया पर विख्यात महिला पत्रकारों और एक विशेष समुदाय की मशहूर हस्तियों को निशाना बनाया जाता था और उनका अपमान करने के उद्देश्य से उन्हें गलत तरीके से पेश किया जाता था.
पिछले हफ्ते दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के आईएफएसओ (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट) द्वारा गिरफ्तार किए गए बिश्नोई को सात दिनों की हिरासत में भेज दिया गया था.
वह वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल में बी टेक (कंप्यूटर साइंस) का द्वितीय वर्ष का छात्र है. पुलिस के अनुसार, बिश्नोई ने अक्टूबर में उन महिलाओं की एक सूची बनाई थी, जिन्हें वह अपने डिजिटल उपकरणों, एक लैपटॉप और सेल फोन पर ऑनलाइन बदनाम करना चाहता था.
वह पूरे सोशल मीडिया पर महिला एक्टिविस्ट को ट्रेस कर रहा था और उनकी तस्वीरें डाउनलोड कर रहा था. 1 जनवरी को गिटहब स्पेस में परफॉर्म कर रहे इस ऐप ने एक खास धर्म की कई महिलाओं की तस्वीरें पोस्ट कीं. इनमें पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और प्रसिद्ध हस्तियां शामिल थीं.
यह घटनाक्रम सुल्ली डील के विवाद के छह महीने बाद हुआ. इंजीनियरिंग का छात्र विशाल कुमार झा बुल्ली बाई के फॉलोअर्स में से एक था, जिसके माध्यम से पुलिस को मुख्य आरोप तक पहुंचने में मदद मिली.
होस्टिंग प्लेटफॉर्म गिटहब पर सुल्ली डील ऐप को भी बनाया गया था और इसी पर बुल्ली बाई ऐप भी बनाई गई. बाद में विवाद शुरू होने के बाद गिटहब ने यूजर बुल्ली बाई को अपने होस्टिंग प्लेटफॉर्म से हटा दिया था. लेकिन तब तक, इसने देशव्यापी विवाद को जन्म दे दिया था. ऐप को एक खालिस्तानी समर्थक की तस्वीर के साथ बुल्ली बाई नाम के एक ट्विटर हैंडल द्वारा भी प्रचारित किया जा रहा था.