Budget 2023: क्या होता है ब्लैक बजट? आजादी के बाद भारत झेल चुका है ब्लैक बजट का दंश! जानें क्या थी वजह?

साल 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच घमासान युद्ध हुआ था. इस युद्ध में भले ही पाकिस्तान को बुरी हारी मिली हो, उसके दो टुकड़े हुए हों, लेकिन जीत के बावजूद भारत की भी आर्थिक बहुत बुरे दौर में चली गई थी. ऊपर से खराब मानसून के कारण देश के अधिकांश खेतिहर हिस्सों में सूखा पड़ गया,

budget (Photo: Wikimedia Common)

आम नौकरी-पेशे वाला इंसान हो, बड़ा व्यवसायी हो अथवा सामान्य गृहणी, हर किसी को देश के सालाना बजट की शिद्दत से प्रतीक्षा रहती है, क्योंकि उसी के आधार पर वह अपने सालाना बजट की रूपरेखा तैयार करता है. कहने का आशय यह कि हर किसी को नये साल के वित्तीय बजट की प्रतीक्षा अवश्य रहती है. इसलिए बजट आम लहजे में एक लोकप्रिय परंपरा है, लेकिन क्या आपने कभी 'काला बजट' का नाम भी सुना है? एक आम आदमी के लिए काला बजट क्या मायने रखता है?आजादी के बाद काला बजट का दंश भारतीय भी झेल चुका है. आखिर क्या है काला बजट? आम आदमी पर इसका क्या असर होता है? आइये आज इसी विषय पर बात करते हैं, लेकिन सर्वप्रथम बात करेंगे कि आखिर काला बजट है क्या बला? यह भी पढ़ें: क्या होता है बजट सत्र? जानें बजट से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब

क्या है काला बजट?  

 जब सरकार की आय से ज्यादा व्यय होता है तो सरकार को बजट में मजबूरीवश कटौती करनी पड़ती है, ऐसे बजट को ही ब्लैक बजट कहा जाता है. उदाहरणस्वरूप सरकार सरकार की आय अगर एक लाख रुपये है और उसका व्यय डेढ़-दो लाख होता है, तो इस घाटे की भरपाई के लिए सरकार अपने बजट में विभिन्न कटौतियां करती है, ऐसे बजट को ब्लैक बजट कहा जाता है. गौरतलब है कि वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने 28 फरवरी 1973 के केंद्रीय बजट में काला बजट पेश किया था.

कब पेश हुआ था ब्लैक बजट?

साल 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच घमासान युद्ध हुआ था. इस युद्ध में भले ही पाकिस्तान को बुरी हारी मिली हो, उसके दो टुकड़े हुए हों, लेकिन जीत के बावजूद भारत की भी आर्थिक बहुत बुरे दौर में चली गई थी. ऊपर से खराब मानसून के कारण देश के अधिकांश खेतिहर हिस्सों में सूखा पड़ गया, जिसका खाद्यान्न उत्पादन पर बुरा असर पड़ा. उस समय देश की बागडोर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हाथों में थी, वित्त मंत्री यशवंत राव चव्हाण थे. तमाम वजहों से सरकार के खर्च का ग्राफ उसकी कमाई से कहीं ज्यादा बढ़ गया था. जीडीपी आधा प्रतिशत के करीब रह गई थी, देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई थी. लिहाजा 1973/74 का केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते समय वित्त मंत्री को काला बजट प्रस्तुत करना पड़ा. 550 करोड़ रुपये के घाटे का बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री ने माना था कि सूखे के कारण उत्पन्न हालात और खाद्यान्न उत्पादन में कमी के कारण बजटीय घाटा बढ़ गया है, इसलिए ब्लैक बजट की स्थिति आई है. आजादी के बाद यह पहला और आखिरी ब्लैक बजट बताया जाता है.

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