HC On Divorce-Maintenance: मुस्लिम महिला तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मेंटेनेंस की मांग कर सकती है

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि मुस्लिम महिला तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मेंटेनेंस की मांग कर सकती है.

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Bombay High Court On Divorce-Maintenance: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि मुस्लिम महिला तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मेंटेनेंस की मांग कर सकती है. अदालत ने कहा ऐसा मान भी लिया जाए कि महिला ने आवेदक को तलाक दे दिया है तो भी घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा बारह के तहत शुरू की गई कार्यवाही में उसे Maintenance से वंचित नहीं किया जा सकता है. साल 2006 में महिला अपने पति के साथ सऊदी अरब गई थी. उसके रिश्तेदारों और उसी इमारत में रहने वाले उसके पति के रिश्तेदारों के बीच विवाद था. ये भी पढ़ें- SC On Divorce: शादी के बाद सेटल होने में समय लगता है, सिर्फ 40 दिन बाद तलाक लेकर पति-पत्नी अलग नहीं हो सकते: सुप्रीम कोर्ट

महिला ने आरोप लगाया कि इसी विवाद के चलते उसके पति ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया. आखिरकार 2012 में वह अपने पति और बच्चों के साथ भारत वापस आ गई और अपने पति के घर में रहने लगी. महिला का कहना है कि उस पर अपने रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का दबाव डाला गया और जब उसने ऐसा करने से इंकार किया तो उसे मारा पीटा गया.

उसके पति के रिश्तेदारों ने उसे मारने की कोशिश की. इसके चलते वह अपने छोटे बेटे के साथ अपने माता पिता के घर चली गई और अपने पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. उसका पति वापस सऊदी अरब चला गया. इसके बाद महिला ने Maintenance की मांग करते हुए आवेदन दायर किया.

पति ने उसके आवेदन का विरोध किया और आरोपों से इनकार किया. पति ने कहा कि वह अपने परिवार के बीच विवाद के कारण उससे झगड़ा करती थी और जब वह घर से चली गई तो उसे वापस लाने की पूरी कोशिश की. जब उसके सभी प्रयास विफल हो गए तो उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया.

Magistrate ने शिकायतकर्ता को सात हज़ार पांच सौ रूपये प्रति माह और उनके बेटे को 2500 रुपए प्रति माह का Maintenance देने का आदेश दिया. Magistrate ने इसके साथ ही दो हज़ार रुपए प्रति माह किराया देने के लिए भी कहा. इसके अलावा शिकायतकर्ता को 50000 रुपए का मुआवज़ा देने का आदेश दिया.

इस आदेश को चुनौती देते हुए पति ने हाई कोर्ट का रुख किया. पति का कहना था कि घरेलू हिंसा का आरोप उनके अलग होने के एक साल से अधिक समय के बाद लगाया गया.  अदालत ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर भरोसा जताया, जिसमें Court ने कहा था कि तलाक सुधा मुस्लिम महिला तब तक Maintenance की हकदार है जब तक वह दोबारा शादी नहीं करती, क्योंकि CRPC की धारा 125 एक लाभकारी कानून है, जिसका लाभ तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को मिलना ही चाहिए.

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