राज्यसभा सांसद ओम माथुर का बड़ा बयान, कहा - पूरे देश में NRC करेंगे लागू , भारत को नहीं बनने देंगे धर्मशाला
एनआरसी के मुद्दे पर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने इसकी शुरुवात की थी और उसका बीज राजीव गांधी ने डाला था. लेकिन कांग्रेस दस सालों कांग्रेस की सरकार हिम्मत नहीं जुटा पाई और नहीं लागू कर पाई
नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद ओम माथुर के एक बयान से सियासी गलियारे में हलचल मच गई है. एनआरसी मुद्दे पर चर्चा के दौरान राजस्थान के झुंझनु में ओम माथुर ने कहा कि भारत में जो घुसपैठिये भारत में उन्हें देश से बाहर निकाला जाएगा. उन्होंने कहा कि देश को किसी भी हाल में धर्मशाला नहीं बनने दिया जाएगा. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि अगली बार केंद्र में सरकार आने के बाद पूरे भारत एनआरसी को लागू करेंगे.
इस दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी जमकर तंज कसा. उन्होंने एनआरसी के मुद्दे पर कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने इसकी शुरुवात की थी और उसका बीज राजीव गांधी ने डाला था. लेकिन कांग्रेस दस सालों कांग्रेस की सरकार हिम्मत नहीं जुटा पाई और नहीं लागू कर पाई. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को डिबेट नहीं आती है अगर उनके सामने हम बीजेपी के सामन्य कार्यकर्ताओं को भी बिठा दें तो वे जवाब नहीं दे पाएंगे.
अमित शाह का कांग्रेस पर आरोप
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के विरोध के बावजूद घुसपैठियों की पहचान के लिए पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने को प्रतिबद्ध है. शाह ने यहां एक रैली में कहा था, ममतादी, केवल आपके विरोध के कारण एनआरसी नहीं रुकेगा. आप विरोध करने के लिए आजाद हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी विरोध करने के लिए आजाद हैं. लेकिन हमारी यह प्रतिबद्धता है कि सभी घुसपैठियों की एक-एक कर पहचान करें और कानून के मुताबिक असम में एनआरसी को पूरा करें. असम समझौते के मुताबिक, दस्तावेज पर कार्य हो रहा है। इस समझौते पर 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हस्ताक्षर किए थे.
गौरतलब हो कि असम में एनआरसी के मसौदे से कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर किए जाने से उनके भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई है और साथ ही एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है. नागरिकों की मसौदा सूची में 2.89 करोड़ आवेदकों को मंजूरी दी गई है. यह मसौदा असम में रह रहे बांग्लादेशी आव्रजकों को अलग करने का लंबे समय से चल रहे अभियान का हिस्सा है.