Bihar: दंपति ने शौक से शुरू किया गार्डनिंग, आज बन गया फलता-फूलता व्यवसाय
अगर आप कोई काम शौक के लिए कर रहे हों और जब इसमें आपको लाभ मिलने लगे या यूं कहें कि यह व्यवसाय बन जाए तो इसे आप क्या कहेंगे. पटना में एक दंपति ऐसे भी हैं कि जो कोरोना काल में शौक के कारण गार्डनिंग की शुरूआत की लेकिन आज यह गार्डनिंग एक नर्सरी का रूप ले लिया है, जो आज इस दंपति के लिए फसता-फूलता व्यवसाय बन गया है.
पटना, 20 मार्च : अगर आप कोई काम शौक के लिए कर रहे हों और जब इसमें आपको लाभ मिलने लगे या यूं कहें कि यह व्यवसाय बन जाए तो इसे आप क्या कहेंगे. पटना में एक दंपति ऐसे भी हैं कि जो कोरोना काल में शौक के कारण गार्डनिंग की शुरूआत की लेकिन आज यह गार्डनिंग एक नर्सरी का रूप ले लिया है, जो आज इस दंपति के लिए फसता-फूलता व्यवसाय बन गया है. आज इस नर्सरी का लाभ न केवल इस दंपति को मिल रहा है बल्कि इसका लाभ अन्य लोगों को भी मिल रहा है. यहां अन्य नर्सरियों से सस्ते मूल्य पर फूलों के पौधे तो मिल ही जा रहे हैं, फोन पर गार्डनिंग से संबंधित टिप्स भी मिल रहे हैं.
पटना के कंकड़बाग इलाके में रहने वाले रेवती रमन सिन्हा और उनकी पत्नी अंशु सिन्हा आज एक बड़े नर्सरी के मालिक हैं. प्रतिदिन उनकी नर्सरी में औसतन 500 ऑर्डर आते हैं. आईएएनएस से बात करते हुए रेवती रमन बताते हैं कि उनकी पत्नी अंशु को गार्डनिंग का शौक बचपन से है. अपने मायके में घर में उसने गार्डनिंग कर रखी थी. कोरोना काल में जब हमलोग घर में थे तब हमलोगों ने भी घर की छत पर गार्डनिंग करने का निर्णय लिया. इस कार्य में अंशु ने मुझे भी लगा दिया और फिर मुझे भी यह कार्य अच्छा लगने लगा.
रेवती रमन बताते हैं कि यूट्यूब के जरिए गार्डनिंग की बारीकी सीखकर अलग-अलग किस्म के सजावटी और फूलों के पौधों को लगाने की शुरूआत की थी. उन्होंने कहा 1500 वर्गफीट के छत पर उन्होंने कुछ ऐसे फूलों के पौधे लगाएं हैं, जो सालों-साल चलते हैं. उनके पास 200 किस्मों के पौधे हैं, जिसमें सदाबाहर फूल और गुड़हल की कई किस्में मौजूद हैं. यहां गमलों में कई प्रकार की सब्जियां भी उगाई. यह भी पढ़ें : कांग्रेस के लिए ‘लाइबिलिटी’ और ‘असेट’ दोनों है गांधी परिवार : संजय कुमार
पिछले एक साल में इस दंपति के पास कई पौधे इतने ज्यादा हो गए कि उन्होंने कटिंग करके उनसे मदर प्लांट तैयार करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने छत पर एक छोटी सी नर्सरी की शुरूआत कर दी. इसके बाद यह जगह एक नर्सरी के रूप में तैयार हो गया. उन्होंने आईएएनएस को बताया कि कि इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए इसकी बिक्री प्रारंभ कर दी. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि सभी पौधों की कीमत उन्होंने कम से कम रखने की कोशिश की है. रेवती रमन कहते हैं कि उनके पास कोई भी पौधा 200 रुपये से अधिक कीमत का नहीं है, जबकि इसमें कई कीमती पौघे भी हैं.
वे कहते हैं कि अन्य नर्सरी वाले नर्सरी में व्यापार करते हैं, लेकिन हमलोगों ने इसे व्यवसाय नहीं माना. वे पौधे अन्य जगह से लाकर बेचते हैं, लेकिन हमलोग पौधे यहीं तैयार करते हैं, इस कारण कम मूल्य पर बेचने के बावजूद हमें लाभ मिलता है. वे बताते हैं कि अंशुमन गार्डन से कम से कम 600 रुपये का पौधा या अन्य सामग्री का ऑर्डर देने के बाद सामान घरों तक पहुंचाया जाता है. इसके अलावे यह दंपति सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक अपने गार्डन के बारे में जानकारी पहुंचाते हैं. व्हाट्सएप के जरिए लोगों को नर्सरी और फूल-पौधों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जाती है. इसके अलावा फेसबुक पर भी कई गार्डनिंग ग्रुप से जुड़े हुए हैं. वे घर के किचन वेस्ट से ऑर्गेनिक खाद भी बनाते हैं.
अंशु सिन्हा एक स्कूल की शिक्षिका हैं. वे कहती हैं, प्रारंभ में मैंने उन्हें गार्डनिंग में मदद करने को कहती थी लेकिन आज वह पेड़-पौधों में मुझसे भी ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं. हमलोग लोगों को पौधे उगाने या किसी भी तरह पौधों में आई समस्या को लेकर मदद करते हैं. पौधे को बेचने के बाद भी लोगों से फीडबैक मांगते हैं. उन्होंने कहा कि एक साल के अंदर उनके 100 से ज्यादा ग्राहक बन गए हैं. वहीं प्रतिदिन तकरीबन 500 पौधे बेचते हैं. साथ में उनकी नर्सरी से आप गमले और खाद भी खरीद सकते हैं. उन्होंने बताया कि राज्य से बाहर से भी पौधों के ऑर्डर आते हैं. इस दपंति के लिए अब घर की छत छोटी पड़ गई है. इस कारण अब ये कोई अन्य जगह तलाश रहे हैं, जहां बड़े स्तर पर यह नर्सरी बनाई जाए, जिससे लोगों को भी लाभ मिल सके.