बिहार में मुसलमानों ने पेश की मिसाल, मंदिर निर्माण के लिए दान की जमीन
लेकिन उनके पास मंदिर बनवाने के लिए जमीन नहीं है. ऐसे में वहा के मुसलमानों ने अपनी जमीन को मंदिर के निर्माण के लिए दान किया.
बिहार: राजनितिक पार्टियों के लोग वोट बैंक के लिए हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर लोगों को लड़ाने का काम करते है . बिहार के गया में जिस तरह से मुसलमानों ने एक मिसाल पेश किया है उससे लगता कि इस देश में राजनितिक पार्टियां खुद के फायदे के लिए कितना भी लोगों को भड़काने की कोशिश करे लेकिन लोग उनके बहकावे में नहीं आने वाले है. इसका ताजा उदाहरण गया के गुरारु इलाके में देखने को मिला है. गुरारु में जहां ये मुसलमान रहते है वही पर हिन्दू धर्म के भी कुछ लोग उनके साथ रहते है. वे लोग काफी सालों से वहां पर एक मंदिर बनवाना चाहते हैं. लेकिन उनके पास मंदिर बनवाने के लिए जमीन नहीं है. ऐसे में वहा के मुसलमानों ने देश में एक मिसाल पेश करते हुए अपनी जमीन को मंदिर बनवाने के लिए उन्हें दान किया.
मुस्लिम समाज के लोगों की इस पहल के बाद इस बात की चर्चा पूरे जिले में ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में हो रही है.जमीन दान में देने के अलावा इन लोगों ने हिंदुओं को मंदिर के लिए वित्तीय मदद भी की है. मुस्लमान समुदाय के लोगों के लिए हिंदू भाईयों के साथ हैं. वहा पर रहने वाले लोगों का कहना है कि ऐसा करके वे लोग देश में धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देना चाहते है. ताकि देश में भेद भाव की भावना ख़त्म हो सके.
इससे पहले लखनऊ में एक मुस्लिम व्यापारी भी कर चुका है मिसाल पेश
ऐसा नहीं है कि इस तरह की पहल देश में पहली बार की गई है, बल्कि इससे पहले हाल ही में यूपी की राजधानी लखनऊ में एक मुस्लिम व्यापारी ने 51 मंदिर निर्माण के लिए जमीन देने की पेशकश की थी. मंदिर निर्माण की घोषणा करने वाले शख्स का नाम राशिद नदीम है. वह शाइन ग्रुप के चेयरमैन हैं.मंदिर निर्माण के लिए जमींन दान देने को लेकर राशिद का कहना था कि यह अवध की गंगा-जमुना तहजीब हम लोग एक बार फिर से ऐसा करके जीवित करना चाहते है. इससे देश में भाई चारा बढ़ेगे.