Bihar: ग्राहक को मसाला डोसा के साथ नहीं परोसा सांभर, अदालत ने रेस्तरां मालिक पर लगाया 3,500 रुपए का जुर्माना
बिहार की एक स्थानीय अदालत ने एक रेस्टोरेंट के मालिक को डोसा के साथ सांभर नहीं परोसने पर 3,500 रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया है. बताया जा रहा है कि कोर्ट ने रेस्टोरेंट मालिक को 45 दिनों के भीतर भुगतान पूरा करने का आदेश दिया है.
Fine For not Serving Sambar with Dosa: रेस्टोरेंट (Restaurant) में अगर कोई डोसा खाता है तो उसे डोसे (Dosa) के साथ सांभर (Sambar) परोसा जाता है, लेकिन बिहार (Bihar) से एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसमें डोसा के साथ सांभर न देने की वजह से कोर्ट ने रेस्टोरेंट मालिक (Restaurant Owner) पर जुर्माना लगाया है. दरअसल, बिहार की एक स्थानीय अदालत (Local Court) ने एक रेस्टोरेंट के मालिक को डोसा के साथ सांभर नहीं परोसने पर 3,500 रुपए का जुर्माना भरने का आदेश दिया है. बताया जा रहा है कि कोर्ट ने रेस्टोरेंट मालिक को 45 दिनों के भीतर भुगतान पूरा करने का आदेश दिया है, अन्यथा भुगतान में देरी होने पर 8 फीसदी की दर से ब्याज लगाया जाएगा.
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, मनीष पाठक नाम के एक वकील अपनी मां के साथ भोजनालय में गए और एक विशेष मसाला डोसा का ऑर्डर दिया. डिलीवरी ऑर्डर की कीमत 140 रुपये थी, लेकिन जब वह घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि पैकेज में सांभर नहीं था. केवल डोसा और सॉस ही उपलब्ध था. इसके अगले दिन, मनीष ने रेस्तरां प्रबंधन का विरोध किया. यह भी पढ़ें: Bihar Shocker! पति ने गांव वालों के सामने कराई पत्नी की दूसरी शादी, वजह है बेहद हैरान करने वाली (Watch Viral Video)
मनीष के विरोध जताने पर रेस्टोरेंट में उनसे पूछा गया कि 140 रुपए में वो क्या पूरा रेस्टोरेंट खरीद लेंगे. इससे नाराज होकर मनीष ने रेस्टोरेंट को कानूनी नोटिस भेज दिया. हालांकि, रेस्टोरेंट मालिक ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद वकील ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई. 11 महीने की सुनवाई के बाद अदालत ने रेस्तरां को दोषी पाया और उपभोक्ता को जुर्माना देने का आदेश दिया.
आयोग ने उपभोक्ता को मानसिक, शारीरिक और वित्तीय परेशानी पहुंचाने के लिए रेस्तरां पर 2,000 रुपए का जुर्माना लगाया और मुकदमे की लागत के रूप में 1,500 रुपए का अलग से जुर्माना लगाया. कोर्ट ने रेस्तरां को 45 दिनों के भीतर जुर्माना भरने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगर समय पर भुगतान नहीं किया गया तो 8 फीसदी ब्याज भी अलग से देना होगा.
गौरतलब है कि अदालत के फैसले पर अपनी संतुष्टि व्यक्त करते हुए, पाठक ने उपभोक्ता अधिकारों को बनाए रखने और व्यवसायों को उनकी वादा की गई सेवाओं को पूरा करने को सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया.