बिहार: 17 किमी साइकिल चलाकर प्रेमिका से आता था मिलने, ग्रामीणों ने मंदिर में करा दी शादी

आज के दौर में भले ही प्यार के नाम को बदनाम करने के किस्से आपको सुनने को मिलते होंगे, लेकिन कहा जाता है कि अगर दृढ निश्चय और समर्पण की भावना से सच्चा प्यार किया गया हो, तो प्रेम को मंजिल मिल ही जाती है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Pixabay)

पटना: आज के दौर में भले ही प्यार के नाम को बदनाम करने के किस्से आपको सुनने को मिलते होंगे, लेकिन कहा जाता है कि अगर दृढ निश्चय और समर्पण की भावना से सच्चा प्यार किया गया हो, तो प्रेम को मंजिल मिल ही जाती है. ऐसा ही एक मामला बिहार के के रामनगर प्रखंड में देखने को मिला जहां 17 किलोमीटर साइकिल चलाकर प्रेमिका से मिलने आने वाले युवक को आखिर अपनी मंजिल मिल ही गई.  दोनों गुरुवार की रात रामनगर प्रखंड के खटौरी शिव मंदिर में परिणय सूत्र में बंध गए. इस मौके पर दोनों के परिजनों ने भी नवदंपति को आशीर्वाद दिए और मंगलकामना की. यह भी पढ़े: Madhya Pradesh: अस्पताल में 70 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति को 55 वर्षीय वृद्ध महिला से हुआ प्यार, बच्चों ने खुशी-खुशी कराई शादी

ग्रामीणों ने बताया कि तीन साल पहले सपही भावल गांव की रहने वाली मंजू कुमारी अपने एक रिश्तेदार के घर में शादी के मौके पर रामनगर के जुड़ा गांव गई थी. यहां शादी के मौके पर ही आए बेलवा चखनी गांव का रहने वाला बबलू कुमार से उसकी मुलाकात हो गई. इसी दौरान दोनों में जान पहचान हुई और फिर दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। शादी के बाद दोनों वापस अपने-अपने गांव लौट गए और दोनों की बातें फोन पर होने लगी.

इसी दौरान यह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। दोनों एक-दूसरे से मिलने के लिए समय की तलाश करने लगे। इस बीच, समय पाकर बबलू 17 किलोमीटर साइकिल चलाकर अपनी प्रेमिका के गांव पहुंच जाता और दोनों गांव के नजदीक ही मिलने लगे. इस बात की खबर ज्यादा दिनों तक छिपकर नहीं रह सकी. मंजू के घरवालों को जब इसकी खबर लगी तब वे आक्रोशित हो गए.

बताया गया ग्रामीणों ने एकबार दोनों को मिलते पकड़ भी लिया, लेकिन दोनों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। इसके बावजूद दोनों मिलते रहे। ग्रामीणों के मुताबिक, जब दोनों के परिजनों को इसकी जानकारी मिली तो फिर दोनों गांवों में पंचायत भी बुलाई गई, लेकिन बबलू और मंजू साथ जीने और मरने की कसमें खा चुके थे। दोनों शादी की जिद पर अड़े रहे.

इसके बाद पंचायत ने दोनों के परिजनों को समझाने की भी कोशिश की, लेकिन दोनों परिवार इस शादी के लिए तैयार नहीं थे. ग्रामीणों का कहना है कि गुरुवार की शाम बबलू अपनी प्रेमिका से मिलने फिर से उसके गांव आया था कि ग्रामीणों ने दोनों को पकड़ लिया और दोनों की शादी की तैयारी कर दी गई। ग्रामीणों द्वारा दोनों के परिजनों को समझाने के लिए बुझाया गया और अंत में उन्होंने भी शादी की सहमति दे दी.

दोनों परिवारों की सहमति के बाद खटौरी शिव मंदिर में दोनों की शादी करा दी गई। इस मौके पर गांव की महिलाओं ने गीत गाए तो दोनों के परिजनों ने नवदंपति को आशीर्वाद दिए और दोनों के भविष्य की मंगलकामना की. शादी के बाद प्रसन्न बबलू बताते हैं कि तीन साल के बाद आखिर उसे मंजिल गई। उन्होंने कहा कि हम दोनों सच्चा प्रेम किया था। तीन साल तक दोनों छिप-छिपकर मिलते थे, लेकिन आज शादी हो गई.

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