BharatNet Project: हाईटेक होंगे गांव, देश के अंतिम कोने तक पहुंचेगी वाई-फाई कनेक्टिविटी
कोरोना काल के बाद आर्थिक और सामाजिक स्तर पर डिजिटल क्रांति की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है. ऐसे में सरकार का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में ब्राडबैंड का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना है, जिससे इंटरनेट की दिक्कतों से निजात पाया जा सके. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण इलाकों के डिजिटल विभाजन को कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है.
कोरोना काल के बाद आर्थिक और सामाजिक स्तर पर डिजिटल क्रांति की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है. ऐसे में सरकार का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण भारत में ब्राडबैंड का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करना है, जिससे इंटरनेट की दिक्कतों से निजात पाया जा सके. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण इलाकों के डिजिटल विभाजन को कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है. अब इसी में आगे बढ़ते हुए, देश के 6.3 लाख गांवों को हाईटेक बनाने और ब्रॉडबैंड इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने के लिए भारतनेट प्रोजेक्ट के तहत 16 राज्यों में 29,500 करोड़ रुपये के कार्यों के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किए गए हैं. इसके तहत सभी ग्राम पंचायतों और गांवों को जोड़ना है. ये टेंडर गांवों में भारतनेट तैयार करना, अपग्रेड करना, ऑपरेशन और मेंटेनेंस और उपयोग के लिए जारी किये गए हैं.
क्या है भारतनेट प्रोजेक्ट?
दरअसल, मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत शुरू हुआ भारतनेट प्रोजेक्ट दुनियाभर में सबसे बड़ा ब्रॉडबैंड प्रोग्राम है, जो ग्रामीणों को कनेक्ट करता है. इस प्रोजेक्ट के जरिए सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ पहल को भी बढ़ावा मिल रहा है क्योंकि इसके तहत गांव-गांव तक इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. केंद्र सरकार के अनुसार, मार्च 2021 तक 1.5 लाख ग्राम पंचायतों में भारतनेट सेवा तैयार है और 5.09 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई जा चुकी है. बता दें, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 30 जून को 16 राज्यों में पीपीपी मोड के माध्यम से भारतनेट की संशोधित कार्यान्वयन रणनीति को मंजूरी दी थी, जिसके बाद देश के सभी 6.3 लाख गांवों तक इस प्रोजेक्ट को पहुंचाने की योजना बनाई गई.
कहां तक पहुंची है योजना?
देश को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की दिशा में तेज रफ्तार से काम किया जा रहा है और इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2011 में शुरू हुए भारत नेट प्रोजेक्ट के तहत 2014 तक सिर्फ 358 किलोमीटर ही ऑप्टिकल फाइबर का जाल फैलाया गया. वहीं, नवंबर, 2019 तक यह बढ़कर 3,83,462 किलोमीटर हुआ और अब यानि 2021 में 5.09 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर का जाल फैलाया जा चुका है. इसके साथ, भारत नेट प्रोजेक्ट ने प्रतिदिन 800 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर डालकर विश्व रिकॉर्ड बनाया है.
सभी गांवों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जोड़ने की योजना
15 अगस्त, 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 1,000 दिन में सभी गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ दिया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जून के आखिर में बताया कि ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के लिए 19,041 करोड़ रुपये और उपलब्ध कराए गए हैं जिससे 2020 से 1,000 दिन में सभी गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके. वित्त मंत्री ने कहा कि इससे भारतनेट प्रोजेक्ट पर कुल खर्च बढ़कर 61,109 करोड़ रुपये पर पहुंच जाएगा. यह भी पढ़ें : 1 अगस्त से बदल जाएगा सैलरी-पेंशन और EMI भुगतान नियम, आम आदमी को होगा सबसे ज्यादा फायदा
सस्ती कीमत पर मिल सकेगा इंटरनेट
प्रोजेक्ट के माध्यम से सरकार का लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड और वाईफाई सर्विस के लिए लगभग 75 प्रतिशत सस्ती कीमत पर बैंडविड्थ देना है. डिजिटल इंडिया पोर्टल के अनुसार, इससे ग्रामीण भारत के करीब 60 करोड़ लोग सूचना तंत्र से जुड़ पाएंगे और ग्राम पंचायत स्तर से लेकर स्कूल, पंचायत दफ्तर, पोस्ट ऑफिस सभी एक दूसरे के संपर्क में आ जाएंगे.
भारतनेट प्रोजेक्ट के जरिये केंद्र का लक्ष्य भारत के अंतिम कोने तक वाई-फाई के जरिये कनेक्टिविटी पहुंचाना है. इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित किए जाएंगे और जब ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच होगी, तो उससे करोड़ों ग्रामीण आबादी को स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कौशल, ई-कृषि, ई-वाणिज्य जैसे सेवाओं तक पहुंचने में मदद मिलेगी, और सही मायने में डिजिटल तौर पर देश का सर्वांगीण विकास हो सकेगा.