Badlapur Sexual Assault Case: ‘बेटे को पढ़ाओ, बेटी को बचाओ’ बदलापुर यौन शोषण मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिखाई सख्ती
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल में दो लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण के मामले की जांच कर रही पुलिस टीम को कड़ी चेतावनी दी.
मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के बदलापुर में एक स्कूल में दो लड़कियों के साथ हुए यौन शोषण के मामले की जांच कर रही पुलिस टीम को कड़ी चेतावनी दी. कोर्ट ने कहा कि पुलिस को सार्वजनिक दबाव में आकर जल्दबाजी में चार्जशीट दाखिल करने से बचना चाहिए और एक सुदृढ़ केस तैयार करना चाहिए. जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की डिविजन बेंच ने इस मामले में लड़कों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया. जस्टिस डेरे ने सरकार के एक नारे को बदलते हुए कहा, “लड़कों को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है-‘बेटे को पढ़ाओ, बेटी को बचाओ’
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कोर्ट ने पहले भी कहा था कि ऐसे अपराधों से निपटने के लिए केवल लड़कियों को सुरक्षित रहने के लिए कहने के बजाय लड़कों को शिक्षित और संवेदनशील बनाना महत्वपूर्ण है. मंगलवार की सुनवाई के दौरान सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को सूचित किया कि जल्द ही चार्जशीट दाखिल की जाएगी.
कोर्ट ने कहा, “यह एक बड़ा मुद्दा है. यह मामला भविष्य में ऐसे सभी मामलों के लिए एक मिसाल बनेगा. जनता देख रही है और जो संदेश हम दे रहे हैं वह महत्वपूर्ण है.” इससे पहले पिछले महीने, अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले को अपने सामने लाया था, जब दो चार साल की लड़कियों के साथ स्कूल के वॉशरूम में एक पुरुष परिचारक द्वारा यौन शोषण किया गया था.
अदालत ने देखा कि स्थानीय पुलिस द्वारा मामले की ठीक से जांच न किए जाने के कारण एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया गया था और "सार्वजनिक आक्रोश बहुत अधिक था." न्यायाधीशों ने कहा, “जल्दबाजी में चार्जशीट दाखिल न करें. अभी भी समय है. सार्वजनिक दबाव में आकर न चलें. चार्जशीट दाखिल करने से पहले जांच पूरी तरह से होनी चाहिए. चार्जशीट दाखिल करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि सब कुछ सही है. एक मजबूत केस तैयार करें.”
कोर्ट ने एसआईटी को भी मामले की डायरी को "रूढ़िवादी" तरीके से बनाए रखने के लिए फटकार लगाई. क्या इसी तरह से केस डायरी तैयार की जाती है? हाई कोर्ट ने पूछा, क्या यह जांच अधिकारी द्वारा केस डायरी को रूढ़िवादी तरीके से लिखने का एक तरीका है?
न्यायाधीशों ने कहा कि जांच की हर प्रक्रिया को केस डायरी में उल्लेखित किया जाना चाहिए, और यह पाया गया कि डायरी में सभी विवरण नहीं दिए गए थे. इस तरह से केस डायरी लिखने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है और यह वास्तव में इस मामले की कमजोर जांच को दर्शाता है.
इस मामले में कोर्ट की टिप्पणी ने न केवल जांच की गुणवत्ता पर सवाल उठाए, बल्कि लड़कों की शिक्षा और जागरूकता की आवश्यकता को भी उजागर किया. कोर्ट का यह संदेश समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि लड़कियों की सुरक्षा तभी सुनिश्चित की जा सकती है जब लड़कों को सही दिशा में शिक्षित किया जाए.